पत्रिका के अनुभाग: जुलाई – सितम्बर २०१५

पत्रिका के अनुभाग: जुलाई – सितम्बर २०१५ (अंक १२, वर्ष ४)

अम्स्टेल गंगा के इस फुलवारी में आपका स्वागत है।
रंग बिरंगे फूलों की इस बगीया में विचरण करे और हमें अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत करायें।

सम्पादक मंडल
अम्स्टेल गंगा

पत्रिका के अनुभाग: विषय सूची 

 

हिंदी साहित्य:::

काव्य साहित्य:

      ग़ज़ल:

ग़ज़लें -प्राण शर्मा

ग़ज़लें- सुधेश

ग़ज़ल – अनमोल

माहिया:

माहिया: रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

कविता:

माँ गाँव में है – दिविक रमेश

पूनम की चाँदनी – सुरेश शर्मा ‘कांत’

शासक – डॉ. जेन्नी शबनम

हुई कण्ठहार हिंदी !! – डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

एक चाँद:एक दास्ताँ – डॉ छवि निगम

प्रिय कैसे , फिर  तुम्हें मनाऊँ – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

एक दिन और कटा – सपना मांगलिक

एक भरम पलने दो – संध्या सिंह

शब्द तेरे…. – शैली किरण

विचारो  की  भाषा – निधि वशिस्ठ

लेख::

ये दुनिया के बदलते रिश्ते – प्रियंका गुप्ता

गाय को बचाने के लिए आज एक व्यापक आंदोलन की जरूरत है ? – युद्धवीर सिंह लांबा ”भारतीय“

व्यंग्य::

कमाल के रामलुभाया – गिरीश पंकज

धज्जियाँ मेरे बहु-उपयोगितावाद की – कमलानाथ

बच्चों का कोना::

बुद्धिमानों की दुनिया – सुधा भार्गव

मेरे पापा – नीरज त्रिपाठी

उपन्यास::

एक शाम भर बातें – दिव्या माथुर

लघुकथा::

फैशन – प्राण शर्मा

चुनौती – सुधा भार्गव

जंजीर – रंजू भाटिया

कहानी::

पथरीला बुत – नीलम कुलश्रेष्ठ

अमृत वृद्धाश्रम – विजय कुमार

फेसबुक…. तौबा !!! – मधु अरोड़ा

मिस्टेक – डॉ. सुनिल जाधव

संस्मरण::

गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद में – अंजना संधीर से एक मुलाक़ात – कादंबरी मेहरा

संस्मरण : संवेदनशीलता का आभास – संजय वर्मा “दृष्टि“

भोजपुरी हिंदी साहित्य:::

भगवान – प्रिंस रितुराज

अप्रवासीय रोजनामचा:::

परदॆशी सबॆरा – अमित कुमार सिंह

साहित्यिक समाचार :::

संगीता बहादुर की उपन्यास ‘विकराल’ का विमोचन – दिव्या माथुर

लोकार्पण:  माँ गाँव में हॆ (कविता संग्रह)  - दिविक रमेश

साक्षात्कार:::

मुझे ‘बाज़ार‘ ने ज़िन्दा रखा: सागर सरहदी — मनोज कृष्ण

पुस्तक समीक्षा:::

मेरे साक्षात्कार – शिवमूर्ति : एक समीक्षा – डा. स्वाति तिवारी

कला दीर्घा::: 

एक शाम – तेरे नाम – कृशानु रॉय

एक फूल – मीनाक्षी सिंह

एक शहर – एम्स्टर्डम – रिया खरयाल

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