माहिया – बेटी तो प्यारी है – ज्योत्स्ना प्रदीप

1
बेटी तो प्यारी है
मेरे घर आई
ये मन आभारी है!
2
अधरों मोहक तानें
कलियों से झरते
मोती के कुछ दानें।
3
सुर-ताल अनोखा है
खुशबू का लोगो !
धीमा-सा झोंका है।
4
हर बात समझती है
वीणा-सी प्यारी
मीठी-सी बजती है।
5
वो जीवन की आशा
पढ़ लेती पल में
सुख-दुख की हर भाषा।
6
मन सुखमय करती है
प्यारा लेप बनी
हर पीड़ा हरती है।
7
फूलों-सी खिल जाती
भाग घने उसके
बेटी जो मिल जाती।
8
घर वह सुखकारी है
बेटी की बोली
बनती किलकारी है।
9
सुख-बेलें बढ़ती हैं
प्यारे पल हैं वे
जो बेटी पढ़ती हैं।
10
खुशबू वह प्यारी है
मन उसके ठहरो
वो खुद ही क्यारी है।
11
साँसों की हरकत है
बुरके के पीछे
वो ही तो बरकत है।
12
बेटी का ध्यान करो
मंत्र नहीं पढ़ना
चाहे न अज़ान करो।
13
मन पूजा की थाली
बेटा चावल-कण
बेटी तो है लाली।
14
मंगल ही करती है
समझो माता तुम
घर वह ही भरती है।
15
नभ पर छा जाती है
चंदा-सी बेटी
पग मान बढ़ाती है।

 

 

- ज्योत्स्ना प्रदीप

शिक्षा : एम.ए (अंग्रेज़ी),बी.एड.
लेखन विधाएँ : कविता, गीत, ग़ज़ल, बालगीत, क्षणिकाएँ, हाइकु, तांका, सेदोका, चोका, माहिया और लेख।
सहयोगी संकलन : आखर-आखर गंध (काव्य संकलन)
उर्वरा (हाइकु संकलन)
पंचपर्णा-3 (काव्य संकलन)
हिन्दी हाइकु प्रकृति-काव्यकोश

प्रकाशन : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन जैसे कादम्बिनी, अभिनव-इमरोज, उदंती, अविराम साहित्यिकी, सुखी-समृद्ध परिवार, हिन्दी चेतना ,साहित्यकलश आदि।

प्रसारण : जालंधर दूरदर्शन से कविता पाठ।
संप्रति : साहित्य-साधना मे रत।

 

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