लेख

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लेखों की अपनी ही एक निराली दुनिया है | हिंदी साहित्य की ये एक सशक्त विधा है |
विषय चाहे हल्का हो या गंभीर, सरल और सुगठित शब्दों मे लेख की रचना की जा सकती है |

लेख बड़ी ही सहजता और सरलता से अपनी बात पाठकों तक पहुंचाते हैं | और जरुरत पड़ने पर इसके एक एक शब्द आग के शोले बन क्रांति का बिगुल भी बजा देते हैं |

लेखों के इस अलबेले साहित्य का परिचय आपको अम्स्टेल गंगा के इस भाग में मिलेगा |

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