मुस्कुराइये,जिंदगी गुलज़ार हैं ।
बस हर दिन को जीने की जरुरत हैं,
फिर तो जैसे प्यार ही प्यार हैं ।
अँधेरे को अपना साथी बनाना हैं,
स्वयं को स्वयं से ही मनाना हैं,
कितना रोकेगा ये अंधकार तुझे ,
खुद से डट कर कदम से कदम बढ़ाना हैं ।
अँधेरे की सुरंग से आती उजाले की किरण आर-पार हैं,
मुस्कुराइये,जिंदगी गुलज़ार हैं ।
जिंदगी की सेज पर हर दिन एक नया इम्तिहान हैं,
करनी और कथनी से तय होती आपकी दुकान हैं,
घमंड की शय्या पर ना सोना मेरे दोस्तों,
यह इंसान को बना देती पाषाण हैं ।
खुद को सवारियें क्यूंकि जीना हमारा अधिकार हैं,
मुस्कुराइये,जिंदगी गुलज़ार हैं ।
- डॉ. दीप्ती कपूर शर्मा मैं, डॉ. दीप्ती कपूर शर्मा, भारत गणराज्य की एक मूल निवासी, वर्तमान में नेदरलॅंड्स में रह रही हूँ। शैक्षणिक योग्यता के अनुसार, मैं कंप्यूटर विज्ञान में इंजीनियरिंग में स्नातक, सूचना प्रौद्योगिकी में इंजीनियरिंग में परास्नातक और कंप्यूटर विज्ञान में पीएचडी हूं। मेरा शौक नृत्य करना, कविताएं लिखना और संगीत सुनना हैं, जो मेरे दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाता है, ध्यान केंद्रित करता है, मेरी आंतरिक शक्ति को बढ़ाकर मेरी कार्य कुशलता का पोषण करता है और नई चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है। कई शैक्षणिक पुरस्कारों के साथ, मुझे नृत्य में स्कूल और कॉलेज स्तर पर कई पुरस्कार भी मिले। हाल ही में मेरी पुस्तक “रिश्ते” प्रकाशित हुई है जिसे कई कविता प्रेमियों द्वारा सराहित किया जा रहा है। इसके अलावा, मेरी कुछ कविताएँ प्रख्यात समाचार पत्रों और पत्रिका में प्रकाशित होती हैं। मेरा एक यूट्यूब चैनल भी हैं जिसमे आप व्यावहारिक विषय पर आधारित मेरी कवितायेँ सुन सकते हैं ।