सबसे पाहिले हमनी के भगवन के मतलब बुझे पड़ी , “ भ , ग ,वा ,न “
‘भ’ से बनल बा इ भुइया (भूमि) जेकरा के, देवी शक्ति धरती माई कहल जाला.
जे राखेली आपन लाल के ख्याल, आपन अचरा बनवली जिनगी बितावे के सामान .
अपने भीतर से करेली अन पानी के भरमार , सोना हिरा आ कोइला से होता पूरा दुनिया के कल्याण .
अपने छाती प उगईली गाछ ब्रिक्छ के साफ आ हरिहर सामान .
“ग” से बनल बा उ गगन जेकरा के, आकाश कहल जाला
मऊसम के होला अजब पलटवार , देखS आइल बरखा आ फुहार
उहे आकाश से सूरज बाबा करे ले पूरा देस के अज़ोर
दिन रात के होला उनकरे से अनुमान .
“वा” से बनल बा इ वायु जेकरा के हवा हमनी के कहल जाला
इहे हवा से चले सांस हमनी के , सुनS ए दुनिया वालन प्रदूषित
न करिहS इ हवा के जेकरा से जुडल बा तोहर जिनगी के तार
वायु देव के नांव से बड़े एगो देव विख्यात .
“न” से बनल बा नीर जेकरा के पानी कहल जाला
बिन एकरा जिनगी न होई , साच सब केहू जाने ला
बिन पानी के ना कहाई नदी ,नाहर आ पोखरा
बड़का बड़का चिमनी आ फैक्ट्री ना चल पाई बिन पानी.
जाने ला दुनिया बात बा इ साच , रहे ले भगवन भुइया में हर मानुष के लगे ,आपन पानी आपन भुइया आपन बा इ गगन हवा , सब केहू में बाडे समाईल सबके भीतरी बाड़े भगवन , हमनी के मिल के चली करल जाव आपन इस्ट देव के सम्मान .
- प्रिंस रितुराज
ये रचनाकार के रूप में अपना हुनर दिखाना चाहते हैं।
दिल्ली से छपने वाली भोजपुरी/हिंदी पत्रिकाओं में इनकी रचना प्रकाशित होती रहती है।
वर्तमान में ये भारत में हैं।