रामलुभाया उस दिन एक मंत्री जी के घर बुके ले कर पधारे।
रामू ने बाद सेठीय-नाश्ता परोस दिया, रामलुभाया धन्य हो गये.
”बाल -बच्चे राजी-खुशी से हैं?
राम लुभाया अपने काम की बात बोल ही नहीं रहे थे . मंत्री जी भी जान रहे थे कि ये पट्ठा अभी कुछ नहीं बोलेगा. जब जाने लगेगा, तब धीरे -से अपनी बात रखेगा. ये बुके-मिठाई और गिफ्ट देने वाले बड़े कलाकार होते हैं,सीधे-सीधे मुद्दे पर नहीं आते. सीधे-सीधे तो मूरख किस्म का आम आदमी आता है. न ससुरा बुके देता है, और न मिठाई, और कहता है मेरा ये काम है, हो जाना चाहिए.” ऐसे लोगों का काम काम ही रह जाता है और खास लोगो का काम दन्न से हो जाता है. तो रामलुभाया कुछ बोल ही नहीं रहे थे, और मंत्री जी मन-ही-मन मज़े ले रहे थे।
रामलुभाया की बातें सुन कर मंत्री जी हँस पड़े ”बड़े ही मजेदार आदमी हैं आप. ये बुके कहाँ से बनवाते है. देख कर तबीयत खुश हो जाती है. पत्नी निहारती रहती है इसको, और मिठाई लाज़वाब, हमारा टॉमी भी लपक कर खाता है. उसे बड़े प्रिय लगते हैं.”
रामलुभाया को समझ में नई आया कि टॉमी कौन ? कुत्ता या इनका नौकर? वैसे अक्सर कुत्ते को ही टॉमी कहते हैं, मगर मंत्री के यहाँ पता नहीं किसको कहते हैं. रामलुभाया को बाद में जैसे ही समझ में आया कि मंत्री जी तो उन्हें ‘निबटाने’ में लगे हैं. रामलुभाया ने सोचा ज्यादा रुकना ठीक नहीं है, मंत्री जी आज खतरनाक मूड में हैं. रामलुभाया बोले, ”अब चलता हूँ. कुछ और लोगों से मिलना है.” मंत्री जी बोले, ”समझ गया, अभी कुछ और लोगो से मिलना होगा, बुके देने होंगे। मिठाईयां भी। ये भी बड़ा काम है. कर लीजिये, कर लीजिए. ज़िंदगी जब तक है, काम ही काम है”
-गिरीश पंकज
प्रकाशन : दस व्यंग्य संग्रह- ट्यूशन शरणम गच्छामि, भ्रष्टचार विकास प्राधिकरण, ईमानदारों की तलाश, मंत्री को जुकाम, मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएं, नेताजी बाथरूम में, मूर्ति की एडवांस बुकिंग, हिट होने के फारमूले, चमचे सलामत रहें, एवं सम्मान फिक्सिंग। चार उपन्यास – मिठलबरा की आत्मकथा, माफिया (दोनों पुरस्कृत), पॉलीवुड की अप्सरा एवं एक गाय की आत्मकथा। नवसाक्षरों के लिए तेरह पुस्तकें, बच्चों के लिए चार पुस्तकें। 2 गज़ल संग्रह आँखों का मधुमास,यादों में रहता है कोई . एवं एक हास्य चालीसा।
अनुवाद: कुछ रचनाओं का तमिल, तेलुगु,उडिय़ा, उर्दू, कन्नड, मलयालम, अँगरेजी, नेपाली, सिंधी, मराठी, पंजाबी, छत्तीसगढ़ी आदि में अनुवाद। सम्मान-पुरस्कार : त्रिनिडाड (वेस्ट इंडीज) में हिंदी सेवा श्री सम्मान, लखनऊ का व्यंग्य का बहुचर्चित अट्टïहास युवा सम्मान। तीस से ज्यादा संस्थाओं द्वारा सम्मान-पुरस्कार।
विदेश प्रवास: अमरीका, ब्रिटेन, त्रिनिडाड एंड टुबैगो, थाईलैंड, मारीशस, श्रीलंका, नेपाल, बहरीन, मस्कट, दुबई एवं दक्षिण अफीका। अमरीका के लोकप्रिय रेडियो चैनल सलाम नमस्ते से सीधा काव्य प्रसारण। श्रेष्ठ ब्लॉगर-विचारक के रूप में तीन सम्मान भी। विशेष : व्यंग्य रचनाओं पर अब तक दस छात्रों द्वारा लघु शोधकार्य। गिरीश पंकज के समग्र व्यंग्य साहित्य पर कर्नाटक के शिक्षक श्री नागराज एवं जबलपुर दुुर्गावती वि. वि. से हिंदी व्यंग्य के विकास में गिरीश पंकज का योगदान विषय पर रुचि अर्जुनवार नामक छात्रा द्वारा पी-एच. डी उपाधि के लिए शोधकार्य। गोंदिया के एक छात्र द्वारा गिरीश पंकज के व्यंग्य साहित्य का आलोचनात्मक अध्ययन विषय पर शोधकार्य प्रस्तावित। डॉ. सुधीर शर्मा द्वारा संपादित सहित्यिक पत्रिका साहित्य वैभव, रायपुर द्वारा पचास के गिरीश नामक बृहद् विशेषांक प्रकाशित।
सम्प्रति: संपादक-प्रकाशक सद्भावना दर्पण। सदस्य, साहित्य अकादेमी नई दिल्ली एवं सदस्य हिंदी परामर्श मंडल(2008-12)। प्रांतीय अध्यक्ष-छत्तीसगढ़ राष्टभाषा प्रचार समिति, मंत्री प्रदेश सर्वोदय मंडल। अनेक सामाजिक संस्थाओं से संबद्ध।
संपर्क :रायपुर-492001(छत्तीसगढ़)