राम कथा में वैश्विक मूल्य
भारतवर्ष में सत्य सनातन धर्म की पहचान है रामायण। युगों – युगों से इस धरा पर श्री रामचंद्र जी का नाम सदैव ही लिया जाता रहा है और आने वाले युगों तक भी लिया जाता रहेगा क्योंकि
“कलयुग केवल नाम अधारा
सुमिर सुमिर नर उतरहीं पारा”।
“कलयुग केवल नाम अधारा
सुमिर सुमिर नर उतरहीं पारा”।
यह चौपाई केवल एक उदाहरण ही नहीं है अपितु इसमें सोलह आने सही बात कही गई है। राम कथा और रामायण ऐसे विषय हैं जिन पर कितने ही शोध हो चुके हैं, हो रहे हैं और आगे भी होते ही रहेंगे क्योंकि हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा जो भी ग्रंथ लिखे गए हैं वह इतने सत्य, इतने प्रामाणिक और इतने प्रासंगिक है,इतने सार्वकालिक हैं कि उन्हें जिस भी युग में, जिस भी काल में पढ़ा जाएगा या पढ़ा जाता रहा है उनमें से कुछ नए तथ्य ही निकल कर सामने आते हैं। वह एक ऐसे अथाह सागर के समान है जिसमें मंथन करने पर केवल अमृत ही प्राप्त होता है और यह हमारी निष्ठा है, परिश्रम है, साधना है, श्रद्धा है, विश्वास है, आस्था है, भक्ति है, धर्म है कि हम उस में से कितना अमृत निकाल पाते हैं। राम कथा और कृष्ण कथा भारतवर्ष में सदैव ही चलती रहती है। यह इस बात का जीवंत उदाहरण है कि वे जीवंत रूप में इन कथाओं के माध्यम से प्रत्येक भारतवासी के हृदय में निवास करते हैं। वरना हर साल वही रामायण हर साल वही कथा हर समय वही रामचरितमानस का गान ….. फिर भी लोग सुनते हैं, समझते हैं, भावविभोर हो जाते हैं, क्यों ?????
यह इसलिए कि इन कथाओं के माध्यम से हम सदैव ही उनके चरित्र का स्मरण करते हैं। उन्हें अपने पास समझते हैं, मानते हैं ,उनकी भक्ति में लीन हो जाते हैं, नतमस्तक होते हैं। यह हमारे सत्यता का प्रमाण है और प्रभु भक्ति का एक सरल उपाय है। हिंदू धर्म में अभिवादन का एक स्वरूप ‘राम-राम’ भी कहा जाता है ।
ऐसा क्यों इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक कारण है। जितने भी परंपराएं, रीति रिवाज,16 संस्कार हमारे सत्य सनातन धर्म में बनाए गए हैं उन सब के पीछे वैज्ञानिक कारण उपलब्ध है। हमारे ऋषि मुनि बहुत ही दूर दृष्टा थे। उन्होंने आस्था और विश्वास को वैज्ञानिकता को धर्म के साथ जोड़ दिया ताकि लोग इनका प्रयोग करने में थोड़ा सा भय भी समझे ताकि यह धर्म उन्हें हर प्रकार के विकारों से दूर रखें।
यह इसलिए कि इन कथाओं के माध्यम से हम सदैव ही उनके चरित्र का स्मरण करते हैं। उन्हें अपने पास समझते हैं, मानते हैं ,उनकी भक्ति में लीन हो जाते हैं, नतमस्तक होते हैं। यह हमारे सत्यता का प्रमाण है और प्रभु भक्ति का एक सरल उपाय है। हिंदू धर्म में अभिवादन का एक स्वरूप ‘राम-राम’ भी कहा जाता है ।
ऐसा क्यों इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक कारण है। जितने भी परंपराएं, रीति रिवाज,16 संस्कार हमारे सत्य सनातन धर्म में बनाए गए हैं उन सब के पीछे वैज्ञानिक कारण उपलब्ध है। हमारे ऋषि मुनि बहुत ही दूर दृष्टा थे। उन्होंने आस्था और विश्वास को वैज्ञानिकता को धर्म के साथ जोड़ दिया ताकि लोग इनका प्रयोग करने में थोड़ा सा भय भी समझे ताकि यह धर्म उन्हें हर प्रकार के विकारों से दूर रखें।
और रामायण में भी कहा गया है कि
‘भय बिन होय न प्रीति’।
रामचरितमानस के कुछ अद्वितीय उदाहरण
श्री रामचरित मानस में शिव भक्त श्री रावण के मन की बात जो उन्होंने न केवल स्वयं के मोक्ष के लिए सोची अपितु सारी राक्षस जाति के शुभ कल्याण के लिए भी इस पर विचार किया ।
यथा ………
यथा ………
*सुर रंजन भंजन महि भारा। जौं भगवंत लीन्ह अवतारा॥*
*तौ मैं जाइ बैरु हठि करऊँ। प्रभु सर प्रान तजें भव तरऊँ॥*
*तौ मैं जाइ बैरु हठि करऊँ। प्रभु सर प्रान तजें भव तरऊँ॥*
*भावार्थ:-रावण ने विचार किया कि देवताओं को आनंद देने वाले और पृथ्वी का भार हरण करने वाले भगवान ने ही यदि अवतार लिया है, तो मैं जाकर उनसे हठपूर्वक वैर करूँगा और प्रभु के बाण (के आघात) से प्राण छोड़कर भवसागर से तर जाऊँगा॥*
मानस प्रेमी ही जान पायेगें कि तुलसीदास जी ने कितना परिश्रम किया होगा, इस प्रस्तुति को संकलित करने में, हम कलयुगी जीव केवल इन्हें पढ़कर ही अपना जीवन सफल कर सकते हैं क्योंकि इन सब में “राम” है और जहाँ “राम” हैं वहां प्रेम है, भक्ति है, समर्पण है, विश्वास है, श्रद्धा है, त्याग है, मर्यादा है , करूणा है,और जब इतने सकारात्मक गुण हमारे जीवन में एक साथ आ जाते हैं तो फिर वह जीवन वास्तव में ही सार्थक हो जाता है क्योंकि इन सब का किसी के भी जीवन में आना एक विशुद्ध चरित्र को जन्म देता है, यानी किसी भी मनुष्य के जीवन में यह सब गुण जब आ जाते हैं तो वह चरित्र निश्चल, विनम्र, और विशुद्ध, आत्मीय तथा प्रभु के सामिप्य को प्राप्त करने वाला हो जाता है, और कहते भी है ना
’राम से बड़ा राम का नाम’ और
और जहां “राम” हैं वहां सब कुछ है।
इसलिए यदि इन चौपाइयों के अर्थ हमें ना भी समझ में आए तो केवल पढ़ने भर से हमारे जीवन का उद्धार संभव है आवश्यकता है तो केवल विश्वास की, आस्था की, भक्ति की, प्रेम की और समर्पण की।
इसलिए यदि इन चौपाइयों के अर्थ हमें ना भी समझ में आए तो केवल पढ़ने भर से हमारे जीवन का उद्धार संभव है आवश्यकता है तो केवल विश्वास की, आस्था की, भक्ति की, प्रेम की और समर्पण की।
रामचरितमानस* की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट में भी मुक्त हो जाता है। जितना सरल राम का नाम है उतना ही सरल उनका भजन है उनका स्मरण है
इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग करने से जीवन में हर प्रकार से सुख-समृद्धि आती ही है। इसमें कोई भी संशय नहीं है क्योंकि “राम” का नाम सर्वकालिक TIMELESS है।
इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग करने से जीवन में हर प्रकार से सुख-समृद्धि आती ही है। इसमें कोई भी संशय नहीं है क्योंकि “राम” का नाम सर्वकालिक TIMELESS है।
_*1. रक्षा के लिए*_
मामभिरक्षक रघुकुल नायक |
घृत वर चाप रुचिर कर सायक ||
मामभिरक्षक रघुकुल नायक |
घृत वर चाप रुचिर कर सायक ||
_*2. विपत्ति दूर करने के लिए*_
राजिव नयन धरे धनु सायक |
भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक ||
राजिव नयन धरे धनु सायक |
भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक ||
_*3. *सहायता के लिए*_
मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |
एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||
मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |
एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||
_*4*. *सब काम बनाने के लिए*_
वंदौ बाल रुप सोई रामू |
सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||
वंदौ बाल रुप सोई रामू |
सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||
_*5*. *वश मे करने के लिए*_
सुमिर पवन सुत पावन नामू |
अपने वश कर राखे राम ||
सुमिर पवन सुत पावन नामू |
अपने वश कर राखे राम ||
_*6*. *संकट से बचने के लिए*_
दीन दयालु विरद संभारी |
हरहु नाथ मम संकट भारी ||
दीन दयालु विरद संभारी |
हरहु नाथ मम संकट भारी ||
_*7*. *विघ्न विनाश के लिए*_
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |
राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |
राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||
_*8*. *रोग विनाश के लिए*_
राम कृपा नाशहि सव रोगा |
जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||
राम कृपा नाशहि सव रोगा |
जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||
_*9. ज्वार ताप दूर करने के लिए*_
दैहिक दैविक भोतिक तापा |
राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||
दैहिक दैविक भोतिक तापा |
राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||
_*10. दुःख नाश के लिए*_
राम भक्ति मणि उस बस जाके |
दुःख लवलेस न सपनेहु ताके ||
राम भक्ति मणि उस बस जाके |
दुःख लवलेस न सपनेहु ताके ||
_*11. खोई चीज पाने के लिए*_
गई बहोरि गरीब नेवाजू |
सरल सबल साहिब रघुराजू ||
गई बहोरि गरीब नेवाजू |
सरल सबल साहिब रघुराजू ||
_*12. अनुराग बढाने के लिए*_
सीता राम चरण रत मोरे |
अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||
सीता राम चरण रत मोरे |
अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||
_*13. घर मे सुख लाने के लिए*_
जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |
सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||
जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |
सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||
_*14. सुधार करने के लिए*_
मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |
जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||
मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |
जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||
_*15. विद्या पाने के लिए*_
गुरू गृह पढन गए रघुराई |
अल्प काल विधा सब आई ||
गुरू गृह पढन गए रघुराई |
अल्प काल विधा सब आई ||
_*16. सरस्वती निवास के लिए*_
जेहि पर कृपा करहि जन जानी |
कवि उर अजिर नचावहि बानी ||
जेहि पर कृपा करहि जन जानी |
कवि उर अजिर नचावहि बानी ||
_*17. निर्मल बुद्धि के लिए*_
ताके युग पदं कमल मनाऊँ |
जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||
ताके युग पदं कमल मनाऊँ |
जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||
_*18. मोह नाश के लिए*_
होय विवेक मोह भ्रम भागा |
तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||
होय विवेक मोह भ्रम भागा |
तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||
_*19. प्रेम बढाने के लिए*_
सब नर करहिं परस्पर प्रीती |
चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||
सब नर करहिं परस्पर प्रीती |
चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||
_*20. प्रीति बढाने के लिए*_
बैर न कर काह सन कोई |
जासन बैर प्रीति कर सोई ||
बैर न कर काह सन कोई |
जासन बैर प्रीति कर सोई ||
_*21. सुख प्रप्ति के लिए*_
अनुजन संयुत भोजन करही |
देखि सकल जननी सुख भरहीं ||
अनुजन संयुत भोजन करही |
देखि सकल जननी सुख भरहीं ||
_*22. भाई का प्रेम पाने के लिए*_
सेवाहि सानुकूल सब भाई |
राम चरण रति अति अधिकाई ||
सेवाहि सानुकूल सब भाई |
राम चरण रति अति अधिकाई ||
_*23. बैर दूर करने के लिए*_
बैर न कर काहू सन कोई |
राम प्रताप विषमता खोई ||
बैर न कर काहू सन कोई |
राम प्रताप विषमता खोई ||
_*24. मेल कराने के लिए*_
गरल सुधा रिपु करही मिलाई |
गोपद सिंधु अनल सितलाई ||
गरल सुधा रिपु करही मिलाई |
गोपद सिंधु अनल सितलाई ||
_*25. शत्रु नाश के लिए*_
जाके सुमिरन ते रिपु नासा |
नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||
जाके सुमिरन ते रिपु नासा |
नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||
_*26. रोजगार पाने के लिए*_
विश्व भरण पोषण करि जोई |
ताकर नाम भरत अस होई ||
विश्व भरण पोषण करि जोई |
ताकर नाम भरत अस होई ||
_*27. इच्छा पूरी करने के लिए*_
राम सदा सेवक रूचि राखी |
वेद पुराण साधु सुर साखी ||
राम सदा सेवक रूचि राखी |
वेद पुराण साधु सुर साखी ||
_*28. पाप विनाश के लिए*_
पापी जाकर नाम सुमिरहीं |
अति अपार भव भवसागर तरहीं ||
पापी जाकर नाम सुमिरहीं |
अति अपार भव भवसागर तरहीं ||
_*29. अल्प मृत्यु न होने के लिए*_
अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |
सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||
अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |
सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||
_*30. दरिद्रता दूर के लिए*_
नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |
नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना |
नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |
नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना |
_*31. प्रभु दर्शन पाने के लिए*_
अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |
प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||
अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |
प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||
_*32. शोक दूर करने के लिए*_
नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |
आए जन्म फल होहिं विशोकी ||
नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |
आए जन्म फल होहिं विशोकी ||
_*33. क्षमा माँगने के लिए*_
अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |
क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता ||
अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |
क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता ||
श्री राम कथा अद्भुत है, अनोखी है, सुंदर है, रसिक है ।
इसके बारे में किसी कवि ने निम्न पंक्तियां कही है जो सर्वथा उचित जान पड़ती है
इसके बारे में किसी कवि ने निम्न पंक्तियां कही है जो सर्वथा उचित जान पड़ती है
ये है राम कथा,ये है राम कथा
इसे पढ़ कर मिट जाती है,
जीवन की हर व्यथा
ये है राम कथा, ये है राम कथा ।
जीवन की हर व्यथा
ये है राम कथा, ये है राम कथा ।
श्री रामचरितमानस और नीति शिक्षा–
तुलसीदासजी द्वारा रचित रामचरित मानस नीति-शिक्षा का एक महत्मपूर्ण ग्रंथ है। इसमें बताई गई कई बातें और नीतियां मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती हैं, जिनका पालन करके मनुष्य कई दु:खों और परेशानियों से बच सकता है।
रामचरित मानस में चार ऐसी महिलाओं के बारे में बताया गया है, जिनका सम्मान हर हाल में करना ही चाहिए। इन चार का अपमान करने वाले या इन पर बुरी नजर डालने वाले मनुष्य महापापी होते हैं। ऐसे मनुष्य की जीवनभर किसी न किसी तरह से दुख भोगने पड़ते ही है।
“अनुज बधू भगिनी सुत नारी, सुनु सठ कन्या सम ए चारी,
इन्हिह कुदृष्टि बिलोकइ जोई, ताहि बधें कछु पाप न होई”।।
इन्हिह कुदृष्टि बिलोकइ जोई, ताहि बधें कछु पाप न होई”।।
अर्थात- छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और अपनी पुत्री- ये चारों एक समान होती हैं। इन पर बुरी नजह डालने वाले या इनका सम्मान न करने वाले को मारने से कोई पाप नहीं लगता।
वास्तव में रामचरितमानस में कोई भी उक्ति ऐसी नहीं है, कोई भी चौपाई ऐसी नहीं है जिसमें कोई शिक्षा ना हो। केवल आवश्यकता है तो हमें इनका अनुकरण करने की।
“हमें निज धर्म पर चलना सिखाती रोज रामायण,
सदा शुभ आचरण करना सिखाती रोज रामायण ।
सदा शुभ आचरण करना सिखाती रोज रामायण ।
जिन्हें संसार सागर से उतरकर पार जाना है, उन्हें सुख से किनारे पर लगाती रोज रामायण।
कहीं छवि विष्णु की बाकी, कही शंकर की है झांकी,
हृदयानंद झूले पर झूलाती रोज रामायण ।
हृदयानंद झूले पर झूलाती रोज रामायण ।
सरल कविता की कुंजों में बना मंदिर है हिंदी का,
जहां प्रभु प्रेम का दर्शन कराती रोज रामायण।
जहां प्रभु प्रेम का दर्शन कराती रोज रामायण।
कभी वेदों के सागर में, कभी गीता की गंगा में, सभी रस बिंदुओं को मन में मिलाती रोज रामायण।
कही त्याग, कही प्रेम ,कहीं समर्पण का भाव है,
भक्ति, प्रेम का संदेश जन – जन को पहुंचाती रोज रामायण।
भक्ति, प्रेम का संदेश जन – जन को पहुंचाती रोज रामायण।
सत्य, निष्ठा ,मर्यादा का अनुपम संदेश है ये,
भारत की गरिमा में चार चांद लगाती रोज रामायण” ।
भारत की गरिमा में चार चांद लगाती रोज रामायण” ।
यह भी कहा जाता है कि —-
“जिन हिंदू परिवारों में रामचरितमानस की चौपाई के स्वर नहीं होते उन घरों में राग, शोक, दुख ,दरिद्रता व क्लेश सैदेव चारपाई बिछाए स्थाई रूप से निवास करते हैं” ।
अतःश्री रामचरितमानस का पाठ अत्यंत कल्याणकारी है।इसे हमे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
निष्कर्ष
निष्कर्षत:यही कहा जा सकता है कि श्रीरामचरितमानस एक ऐसा महाकाव्य है जो प्रत्येक भारतीय के हृदय में बसा है ।इसके नियम, मूल्य, मान्यताएं, रीति रिवाज हमारी रक्त धारा के साथ मिलकर हमारे शरीर में अनवरत चलाएमान है, गतिमान है ,और जो रक्त धारा है, वह जीवनदायिनी शक्ति है, आधार है वह तो बहुमूल्य होगी ही।
श्री रामचरितमानस के बिना भारत की पहचान संभव नहीं हो सकती ।यह सर्वसाधारण भारतीय का अपना महाकाव्य है क्योंकि–
श्री रामचरितमानस के बिना भारत की पहचान संभव नहीं हो सकती ।यह सर्वसाधारण भारतीय का अपना महाकाव्य है क्योंकि–
” सकल सुमंगल दायक, रघुनायक गुण गान, सादर सुनहिं ते तरही भव,सिंधु बिना जल जान”।
(सुंदरकांड, दोहा- 60)
अर्थात रघुनायक श्री राम जी का गुणगान अति मंगलकारी है जो नर इसे आदर के साथ सुनते हैं, इस संसार सागर से पार उतर जाते हैं।
रामचरितमानस एक वृहद ग्रंथ है। इसको शब्द सीमा में बांधना असंभव कृत्य है क्योंकि स्वयं देवताओं ने भी जिसके बारे में नेति- नेति कहा हो,तो हम जैसे अल्प बुद्धि व्यक्ति इसका वर्णन करने में कैसे समर्थ हो सकते हैं। इसका कथानक, इसकी विशालता, इसकी विविधता को समझ पाना हमारे बस का काम नहीं है। फिर भी एक तुच्छ प्रयास है क्योंकी
“जाति पाती पूछे नहीं कोई,
हरि को भजे सो हरि का होई “।
हरि को भजे सो हरि का होई “।
अतः हमने भी भक्ति भावना को समाहित करते हुए श्री रामचरितमानस के ऊपर अपने विचार व्यक्त किए है क्योंकि यह प्राकृतिक है कि जहां श्री रामचरितमानस का नाम होगा वहां भक्ति अवश्य होगी।
अतः अंत में बस यही कहना चाहूंगी कि श्रीरामचरितमानस का जो स्थान भारतवर्ष में है या पूरे विश्व में है वो ऐसे ही आदरणीय बना रहे, और आगे भी यह ग्रंथ हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भक्ति, संस्कार, चेतना, नैतिकता, मानवीय मूल्यों का संरक्षण, संवर्धन करता रहे इसी मंगल कामना के साथ,
अतः अंत में बस यही कहना चाहूंगी कि श्रीरामचरितमानस का जो स्थान भारतवर्ष में है या पूरे विश्व में है वो ऐसे ही आदरणीय बना रहे, और आगे भी यह ग्रंथ हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भक्ति, संस्कार, चेतना, नैतिकता, मानवीय मूल्यों का संरक्षण, संवर्धन करता रहे इसी मंगल कामना के साथ,
“जय श्री राम”।
संदर्भ —
1 आचार्य तुलसी दास: रामचरित मानस
- डॉ विदुषी शर्मा
शिक्षा - एम ए , एम फिल , बी एड , पी एच डी प्रभाकर
पता - ऋषि नगर रानी बाग दिल्ली
वर्तमान स्थिति - दिल्ली स्टेट की जनरल सेक्रेटरी इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स आर्गेनाईजेशन।
एसोसिएट एडिटर
चीफ कोऑर्डिनेटर दिल्ली/एनसीआर
सदस्या, नेशनल एग्जीक्यूटिव बॉडी,मिशन न्यूज़ टीवी.कॉम.
संप्रति- स्वतंत्र लेखन
ब्लॉग -
http://educationalvidushi.blogspot.in.
रिसर्च पब्लिकेशंस – 18
* विदेश मंत्रालय भारत सरकार तथा मॉरिशस सरकार द्वारा 18 से 20 अगस्त 2018 मॉरीशस में आयोजित होने वाले ग्यारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन के अवसर पर स्मारिका “हिंदी विश्व : भारतीय संस्कृति” में शोध आलेख प्रकाशित।
* भारत सरकार, गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग की तरह मासिक पत्रिका राजभाषा भारती में आलेख प्रकाशनाधीन।
* विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भागीदारी तथा शोधपत्र वाचन जिनमें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में “गीता जयंती समारोह” में राष्ट्रपति महोदय श्री रामनाथ कोविंद जी के सामने “आमंत्रित वक्ता” होने का गौरव प्राप्त।
* दिल्ली के विज्ञान भवन में हिंदी संस्कृत अकादमी की तरफ से तीन दिवसीय सेमिनार में हिंदी संस्कृत अकादमी के अध्यक्ष श्री जीतराम भट्ट जी के सामने शोध पत्र वाचन ।
*Think Unique Infomedia की तरफ से आयोजित GLOBAL EDUCATION SUMMIT में आमंत्रित वक्ता के रूप में आमंत्रित।
* विश्व हिंदी साहित्य सम्मेलन मॉरीशस अगस्त 2018 हेतु शोध पत्र चयनित, प्रकाशनाधीन।
* IHRO तथा विधि भारती के सौजन्य से राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारतीय संसद में भागीदारी।
* राष्ट्रीय पुरस्कार “शिक्षक भूषण”, शिक्षक विकास परिषद शिरोधा ,गोवा की तरफ से।
* “ग्रेट नेशनलिस्ट अवार्ड” प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति करनाल, हरियाणा की तरफ से।
* प्रथम “पुस्तक समीक्षा सम्मान” हिंदुस्तानी भाषा अकादमी की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में विश्व पुस्तक मेला 2018 में प्रथम स्थान प्राप्त ।
* NCERT में आमन्त्रित शोध पत्र वाचन ।
* “मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल” में उत्तर प्रदेश के गवर्नर श्री राम नाईक की उपस्थिति में साहित्य सम्मेलन में साझेदारी।
* “विश्व हिंदी साहित्य संस्थान ,इलाहाबाद” की काव्य प्रतियोगिता में देश भर के 250 कवियों में से प्रथम11 में स्थान प्राप्त ।
* बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में “छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी” के निदेशक एवम डॉ विनय कुमार पाठक,अध्यक्ष राजभाषा आयोग, एवम अन्य गणमान्य सदस्यों के सम्मुख शोधपत्र वाचन का सुअवसर जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित था ।
*J.N.U, दिल्ली में मिथकीय चेतना पर आधारित कवि सम्मेलन में अतिथि वक्ता।
*Amity University एमिटी यूनिवर्सिटी गुरूग्राम में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में आमंत्रित वक्ता के रूप में आमंत्रित।
* वीर भाषा हिंदी साहित्य पीठ, मुरादाबाद द्वारा साहित्य प्रतिभा सम्मान प्राप्त ।
* “हम सब साथ साथ है तथा नवप्रभात जन सेवा संस्थान” द्वारा आयोजित “छठा सोशल मीडिया मैत्री सम्मेलन” में वरिष्ठ साहित्यकार सम्मान प्राप्त।
* हिंदुस्तानी भाषा अकादमी की तरफ से ‘हिंदुस्तानी भाषा प्रहरी सम्मान समारोह” जिसके मुख्य अतिथि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया थे, की मुख्य संयोजिका के रूप में कार्य ।
*रशियन कल्चर सेंटर में आमन्त्रित कवयित्री के रूप में प्रस्तुति।
* मिशन न्यूज़ टी वी की तरफ से आयोजित सुपर अचीवर अवार्ड कार्यक्रम की मुख्य संयोजिका के रूप में कार्य।
*राष्ट्रीय महिला काव्य मंच के काव्य महोत्सव में आमंत्रित कवयित्री।
* सनातन धर्म कॉलेज, अम्बाला में संस्कृत वेदांत व उपनिषदों, योग तथा संस्कृत भाषा की उपयोगिता नामक विषयों पर संगोष्ठी में दो बार आमन्त्रित वक्ता के रूप में प्रस्तुतिकरण जिसमे मुख्य अतिथि हरियाणा संस्कृत अकादमी के अध्यक्ष डॉ सोमेश्वर दत्त तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति सम्मिलित थे।
* इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र एव हिंदुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में आयोजन समिति की सदस्य ।
*नीति आयोग तथा श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में जिसके मुख्य अतिथि श्री वैंकेया नायडू(माननीय उपराष्ट्रपति, भारत सरकार),सुश्री किरण बेदी(माननीय राज्यपाल, पुडुचेरी) ,श्री अमिताभ कांत,CEO नीति आयोग के लिए आमंत्रित वक्ता के रूप में आमन्त्रित।
* Indian Council of Philosophical Reaserach ICPR की तऱफ से प्रायोजित चित्तौड़गढ़ में 3 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में अमांत्रित वक्ता के रूप में चयन ।
* “जनकृति” अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका में शोध आलेख प्रकाशित
* “हस्ताक्षर” अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका में सामाजिक आलेख प्रकाशित
* पांडिचेरी विश्वविद्यालय द्वारा संपादित के पत्रिका “परिवर्तन” में आलेख प्रकाशित।
* चीन की एकमात्र पत्रिका “संचेतना” में रचना प्रकाशनाधीन ।
*”सिंगापुर संगम” में रचना प्रकाशनाधीन।
* कनाडा की एकमात्र हिंदी पत्रिका “सेतू” में आलेख “मुट्ठी भर ज़िन्दगी” प्रकाशित ।
* पांडिचेरी विश्वविद्यालय द्वारा संपादित त्रैमासिक पत्रिका “परिवर्तन”में शोध आलेख प्रकाशित।
* केंद्रीय हिंदी निदेशालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुदान से प्रकाशित ‘विधि भारती परिषद’ की त्रैमासिक शोध पत्रिका “विधि भारती” में शोध आलेख प्रकाशित।
* अध्ययन पब्लिकेशनस दिल्ली, के द्वारा संपादित पुस्तक समकालीन भारत में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे में “समकालीन भारत में आधुनिक संचार के साधनों की प्रसांगिकता” नामक अध्याय प्रकाशनाधीन।
* विस्तार निदेशालय कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ,नई दिल्ली की पुस्तिका “राजभाषा विस्तारिका में आलेख प्रकाशनाधीन।
* हरियाणा सरकार की मासिक पत्रिका हरियाणा संवाद में आलेख प्रकाशनाधीन
* एक पुस्तक संपादन का कार्य जारी ।
* 1 e – book प्रकाशित।
* किन्नर विमर्श: साहित्य और समाज नामक पुस्तक में एक अध्याय प्रकाशित।
* ‘समकालीन भारत: आधुनिक संचार के साधनों प्रसांगिकता’ नामक विषय वस्तु पर पुस्तक में अध्याय के रूप में प्रकाशनाधीन।
* ब्रिटिश सरकार द्वारा MBE मेडल प्राप्त प्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार तेजेंद्र शर्मा द्वारा संपादित पत्रिका “कथा UK” में आलेख प्रकाशनाधीन।
कुल शोध प्रकाशन – 18
* अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में पत्र वाचन सहित सहभागिता – 15
* राष्ट्रीय सम्मेलनों में पत्रवाचन सहित सहभागिता – 18
सम्मान प्राप्त – 17
सदस्यता:
* संपादकीय सहयोगी , हिंदुस्तानी भाषा अकादमी, दिल्ली की त्रैमासिक पत्रिका ‘हिंदुस्तानी भाषा भारती’।
*हिम् उत्तरायणी पत्रिका ,नई दिल्ली के संपादक मंडल की सदस्या ।
*बोहल शोध मंजूषा शोध पत्रिका के संपादक मंडल की सदस्य।
* साहित्यपीडिया, हिंदी
* नवप्रभात जन सेवा संस्थान,
लखनऊ,दिल्ली।
* एनवायरनमेंट एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी, खजुराहो।
* विधि भारती परिषद् ,दिल्ली।
* ग्रीन केयर सोसाइटी मेरठ
* युवा शक्ति मंच झज्जर, हरियाणा
* WARS ARTIUM. — An International Research Journal of Humanities and social Sciences (Saudi Arabia)
* WAAR. — World Association of Authors and Researchers (Saudi Arabia)
* International Educationist Forum
Powered and Promoted by Pooma Educational Trust, member of the U.N.global compact ,AUGP(NGO in USA)and UNICEF
* Society for Environmental Resources and Biotechnology Development, Agra