फूल बनूँगा

बेशक कांटा हूँ, फूल बनूँगा
पतझड़ तो आती है
आएगी बहार तो फूल बन खिलूँगा
भ्रमर आएँगे मुझ पर
प्रफुल्लित हो मंडरायेंगे मुझ पर
निश्चित ही आएगा समा
ना होगी किंचित भी देरी
पतझड़ तो आती है
आएगी बहार तो फूल बन खिलूँगा …
रात घनेरी जाएगी
उषा सुनहरी आएगी
सोई पड़ी बागों में कोयल
मधुर संगीत सुनाएगी
पतझड़ तो आती है
आएगी बहार तो फूल बन खिलूँगा l

 

 

- प्रोफेसर चमन सिंह ठाकुर

स्थायी पता : नाहन, हिमाचल प्रदेश (भारत)

भाषा : संस्कृत, हिंदी, हिमाचली और अंग्रेजी

शैक्षणिक उपलब्धियाँ  : एम.ए. (राजनीति शास्त्र), एम.ए. (हिंदी), एम.एड., एम.फिल., पी.एच.डी., संगीत विशारद, प्रभाकर, DCA, CIG, डिप्लोमा इन लाइफ स्किल्स एंड पर्सनलिटी डेवलपमेंट

व्यक्तित्व : बहु आयामी – गीतकार, संगीतकार, गायक, कवि, साहित्यकार, संपादक, कुशल वक्ता, समाज सुधारक, शिक्षक, शिक्षाविद, दार्शनिक, पर्यावरंणविद 

कार्य क्षेत्र : विभागाध्यक्ष, दयावंती पुंज डिग्री कॉलेज, सीतामढ़ी, संत रविदास नगर (भदोही), उ.प्र.

अध्यापन कार्यानुभव/ सेवाएँ : संगीत शिक्षक, हिंदी प्रवक्ता, राजनीति शास्त्र प्रवक्ता, सहायक प्रोफेसर शिक्षा विभाग, विभागाध्यक्ष शिक्षा विभाग, प्राचार्य, डायरेक्टर आदि विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर विभिन्न महाविद्यालयों तथा विश्विद्यालयों में सेवाएँ 

विधाएँ : लोकगीत, गीत-गज़ल, कविता,  कहानी, यात्रा-वृत्तांत और डायरी

प्रकाशित पुस्तकें : 04 – हिन्दी शिक्षण, ‘दिव्यांजलि’ काव्य संग्रह, जीवन सूत्र, सामाजिक अध्ययन

प्रकाशनाधीन : ‘संघर्ष जारी है’ काव्य संग्रह, भारत दर्शन, शिक्षा शास्त्र, भारतीय शिक्षा प्रणाली

शोध-लेख : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं,पुस्तकों और समाचार पत्रों में दर्जनों  कविताएँ , शोध-आलेख प्रकाशित

संगोष्ठी : 01 : देश की  विभिन्न संस्थाओं में अब तक दर्जनों राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ता/शोध-आलेख पर वक्तव्य

02. कई राष्ट्रीय स्तर की कार्याशालाओं  में सहभागिता और शोध-आलेख प्रकाशित

 

सामाजिक कार्य : मानव-निर्माण मिशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष तथा विभिन्न सामाजिक कार्यों में संलग्न,

पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों में क्लीन भारत, ग्रीन भारत मिशन के तहत  पौधारोपण कार्यक्रम I सन 1995 से अब तक हजारों पौधे लगाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित

 

साहित्यिक उद्देश्य : आम आदमी की पीड़ा को  साहित्य की मुख्यधारा से जोड़ना, उपेक्षितों और वंचितों के हितों के लिए आवाज उठाना तथा सामाजिक बुराईयों पर कुठाराघात करना और जागरूकता फैलाना, नैतिक तथा मानवीय मूल्यों की रक्षा करना    

 सामाजिक उद्देश्य : भारतीय संस्कृति, धर्म और दर्शन को विश्वपटल पर स्थापित करना, समृद्ध, खुशहाल तथा वैभवशाली  राष्ट्र  का निर्माण करना, सामाजिक विषमताओं को दूर कर आम जनमानस में मानवता तथा भ्रातृत्व भाव जगाना  

सम्मान :   01. स्व. हरि ठाकुर स्मृति सम्मान, राजमहल चौक कवर्धा, (छत्तीसगढ़)

          02. साहित्य रत्न सम्मान, (कर्नाटक)

          03. भारत गौरव रत्न, ठाणे (महाराष्ट्र)

04. राष्ट्र हिंदी गौरव, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)

05. कविगुरु रविन्द्र नाथ टैगोर सारस्वत साहित्य सम्मान,

     ( भारतीय वांग्मय पीठ, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

06. काव्य विभूषण, दुष्यंत स्मृति सम्मान (पंजाब)

07. साहित्य रत्न सम्मान, (कर्नाटक)

08.  निराला स्मृति सम्मान ( पंजाब )

09. साहित्य सृजक सम्मान , बिहार

 

 

 

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