जनरेशन गैप

अब खेल बंद करो बिट्टू और अपना होमवर्क कर लो , पापा ने इस बार थोडा सख्ती से कहा । पापा जब बच्चे घुटनों के बराबर हो जाएँ तो उनसे दोस्त की तरह बात करनी चाहिए , बिट्टू ने पापा को समझाते हुए कहा । पापा का दिमाग थोडा घूमा कि ये तो कंधे के बराबर होता था और याद भी आया कि इंटर के रिजल्ट के बाद कैसे बाबू जी ने कमरा बंद करके धुना था । आज भी याद आती है तो थोडा दर्द शुरू हो जाता है ।
बिट्टू आगे बोला, पापा तेजी से बदलती दुनिया में ये एक ऐसा बदलाव है जिसे हम जितना जल्दी समझ जाएँ हमारे रिश्ते के लिए उतना ही अच्छा है । पापा तो अभी इस घुटने और कंधे के झटके से उबर ही नहीं पा रहे थे , हिम्मत करके पूछा , कैसा बदलाव बिट्टू?
पापा अब वो जमाने लद गए जब आपकी गलतियों पे कॉपी जांचते समय केवल टीचर्स हँसते थे । आज तो इतना टेंशन है , न जाने किस एग्जाम में आप कुछ बचकाना कर दें और कोई उसे पार करके फेसबुक पे डाल दे, फिर तो देखते ही देखते आपकी कॉपी पूरे हिंदुस्तान में लाइक की जायेगी और कमेंट्स में हाहाहा , गुड वन , लोल की झड़ी लग जायेगी ।
आप लोगों के टाइम पे जब बत्ती जाती थी, आप लोग हो ओ ओ करते हुए बाहर जाते थे और जब तक बत्ती न आ जाए आप लोगों की ऐश हो जाती थी । यहाँ तो इधर बत्ती गयी टीं ईं आवाज आयी और इन्वर्टर चालू । पापा ये अपने बाल मैंने जेल लगाके नहीं खड़े किये हैं , बदलते हालात देख खुद खड़े हो गए हैं ।
पापा आप लोग २ महीने की छुट्टी में नाना नानी बाबा दादी के यहाँ जाके चिल मारते थे । हमें तो छुट्टी से पहले ही अगले क्लास की टेंशन दे दी जाती हैं २ चैप्टर्स पढ़ाके और छुट्टी से लौटते ही सर्प्राइज़ टेस्ट । कोई हमसे पूछे सर्प्राइज़ है या शॉक । आप 60% आते ही फर्स्ट डिवीज़न के नाम पे आस पड़ोस मोहल्ले में मोतीचूर के लड्डू बाँट देते थे और हमारे 90% भी आ जाएँ तो कहा जाता है, चलो जो हो गया सो हो गया , अगली बार सही से पढ़ाई करके देना एग्जाम ।
ऐसे माहौल में न जाने कब हमारा बचपना खोया और कब बड़प्पन कंधे से घुटने में आ गया । बिट्टू ने एक के बाद एक ऐसे तीर छोड़े कि पापा कभी अपने कंधे को देखते तो कभी घुटने को । पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग में टीचर की बातें न सुननी पड़ें सोच घुटने की तरफ देखते हुए वो बोले , समझ गया दोस्त , अब अपना होमवर्क कर लो । ‘ठीक है दोस्त कर लेता हूँ होमवर्क अपनी दोस्ती की खातिर’ , कहते हुए बिट्टू नैतिक शिक्षा का होमवर्क करने लगा ।

 

 

- नीरज त्रिपाठी

 

शिक्षा- एम. सी. ए.

कार्यक्षेत्र – हिंदी और अंग्रेजी में स्कूली दिनों से लिखते रहे हैं | साथ ही परिवार और दोस्तों के जमघट में   कवितायेँ पढ़ते रहे हैं |

खाली समय में कवितायेँ लिखना व अध्यात्मिक पुस्तके पढ़ना प्रिय है |

प्रतिदिन प्राणायाम का अभ्यास करते हैं और जीवन का एकमात्र लक्ष्य खुश रहना और लोगों में खुशियाँ फैलाना है |

कार्यस्थल – माइक्रोसॉफ्ट, हैदराबाद

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