पत्रिका के अनुभाग: अक्टूबर – दिसम्बर २०१७ (अंक २०, वर्ष ६)
अम्स्टेल गंगा के इस फुलवारी में आपका स्वागत है।
रंग बिरंगे फूलों की इस बगीया में विचरण करे और हमें अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत करायें।
सम्पादक मंडल
अम्स्टेल गंगा
पत्रिका के अनुभाग: विषय सूची
हिंदी साहित्य:::
काव्य साहित्य:
ग़ज़ल::
मुकरियाँ:
त्रिलोक सिंह ठकुरेला की मुकरियाँ
कविता:
प्रद्युम्न की पुकार – सपना मांगलिक
बच्चा मांगता है रोटी – रमेशराज
क्या परिचय दूँ अपना ? – डॉ संगीता गांधी
पति का जीवन बचाती बीबी – राजेश भंडारी “बाबु”
मैं कवि हो गया – डॉ नरेश कुमार ‘‘सागर’’
जीवन की व्यावहारिकता – निधि वशिष्ठ
लेख::
दक्खिनी हिंदी साहित्य के विकास में हिन्दू पंथ एवं संतो का योगदान - डॉ. सुनिल जाधव
श्रीमद्भगवद्गीता में संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा का स्वरूप – आदित्य आंगिरस
मीरा से आलोकित भक्ति-जगत – मुरलीधर वैष्णव
वृक्षारोपण की महत्ता – संजय वर्मा “दृष्टी “
सेल्फी ! एक एहसास – सिद्धार्थ सिन्हा
दीपावली का रामकथा से संबंध - एक भ्रम – डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री
व्यंग्य::
ये इश्क इश्क है, क्रिकेट इश्क – प्रेम जनमेजय
मन का कारनामा – सविता मिश्रा ’अक्षजा’
बच्चों का कोना::
लघुकथा::
प्रगति – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा
अकेलेपन का एहसास – डॉ ज्ञान प्रकाश
कहानी::
तुमने कहा था, इसलिए…. – सुमन सारस्वत
‘रेडडेटा-बुक’- विष्णुप्रसाद चतुर्वेदी
एक शहर, दो कुत्ते और कुछ लोग – के डी चारण
अप्रवासी रोजनामचा::
भूले बिसरे प्रवासी भारतीय – कादम्बरी मेहरा
पुस्तक समीक्षा::
छिन्नमूल(उपन्यास): प्रवासी भारतीय जन-जीवन की गाथा – डॉ ओम निश्चल
२१वीं शती की प्रवासी हिन्दी कहानी में बचपन – डा. मधु संधु
भोजपुरी हिंदी साहित्य:::
लव भइल बात ही बात में - मनोज सिंह ‘भावुक’
अम्स्टेल गंगा समाचार :::
साहित्यिक समाचार :::
साहित्यायन ट्रस्ट के स्थापना दिवस समारोह की रिपोर्ट - आरती स्मित
“पेड़ों की छांव तले रचना पाठ” की साहित्य गोष्ठी सम्पन्न – अवधेश सिंह
आवाज़ दे रहा महाकाल’ का भव्य लोकार्पण – अवनीश सिंह चौहान
प्रस्तावित पुस्तकें:::
कांच का बक्सा – डॉ पुष्पिता अवस्थी
प्रवासी भारतीयों में हिन्दी की कहानी – संपादन – डा० सुरेन्द्र गंभीर और डा० वशिनी शर्मा