मेरे मन में सपने भरता ।
जादूगर है , डाले फंदा ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , चंदा।
उसने सब पर रौब जमाया ।
पहलवान भी पड़ता ठंडा ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , डंडा ।
नई ताज़गी मन में आती ।
कभी न मिलती उससे झिड़की ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , खिड़की ।
उसको रोके , किसका बूता ।
करता रहता अपनी मर्जी ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , दर्जी ।
जग की सारी बातें जाने ।
उससे हारे सारे ट्यूटर ।
क्या सखि, साजन ? ना , कंप्यूटर ।
जाड़े में कुछ ज्यादा भाये ।
कभी कभी बन जाता चीटर ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , हीटर ।
देख देख कर मैं हरषाऊँ ।
खुश होकर के अंग लगाऊं ।
सीख चुकी मैं सुख-दुख सहना।
क्या सखि, साजन ? ना सखि ,गहना ।
किन्तु शाम को घर में लाता ।
कभी पिलाता तुलसी काढ़ा ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , जाड़ा ।
सखि , वह मुझको लगता प्यारा ।
गाये गीत कि नाचे पायल ।
क्या सखि , साजन ? ना , मोबाइल ।
खूब लुटाता खुश हो मोती ।
फिर भी प्यासी मन की गागर ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , सागर ।
मेरे मन को खूब रिझाता ।
खुद को उस पर करती अर्पण ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , दर्पण।
बदले में कुछ कभी न लेता ।
चतुराई से खतरा टाला ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , ताला ।
जब चाहे तब कपड़े खींचे ।
डरकर भागूं घर के अंदर ।
क्या सखि ,गुंडा ? ना सखि , बंदर ।
तरह तरह से मन समझाये ।
मतलब साधे , कुछ ना देता ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , नेता ।
हो जाती हूँ उसके वश में ।
मैं खुद उस पर जाऊँ वारी ।
क्या सखि, साजन ? ना , फुलवारी ।
उसके बिना न कुछ भी भाता ।
वह न मिले तो व्यर्थ खजाना ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि , खाना ।
उसकी चाहत सब पर भारी ।
कभी न चाहूँ उसको खोना ।
क्या सखि, साजन ? ना सखि, सोना ।
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
जन्म-स्थान —– नगला मिश्रिया ( हाथरस )
प्रकाशित कृतियाँ — 1. नया सवेरा ( बाल साहित्य )
2. काव्यगंधा ( कुण्डलिया संग्रह )
सम्पादन — 1. आधुनिक हिंदी लघुकथाएँ
2. कुण्डलिया छंद के सात हस्ताक्षर
3. कुण्डलिया कानन
सम्मान / पुरस्कार — 1. राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा ‘शम्भूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार ‘
2. पंजाब कला , साहित्य अकादमी ,जालंधर ( पंजाब ) द्वारा ‘ विशेष अकादमी सम्मान ‘
3. विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ , गांधीनगर ( बिहार ) द्वारा ‘विद्या- वाचस्पति’
4. हिंदी साहित्य सम्मलेन प्रयाग द्वारा ‘वाग्विदाम्वर सम्मान ‘
5. राष्ट्रभाषा स्वाभिमान ट्रस्ट ( भारत ) गाज़ियाबाद द्वारा ‘ बाल साहित्य भूषण ‘
6. निराला साहित्य एवं संस्कृति संस्थान , बस्ती ( उ. प्र. ) द्वारा ‘राष्ट्रीय साहित्य गौरव सम्मान’
7. हिंदी साहित्य परिषद , खगड़िया ( बिहार ) द्वारा स्वर्ण सम्मान ‘
विशिष्टता — कुण्डलिया छंद के उन्नयन , विकास और पुनर्स्थापना हेतु कृतसंकल्प एवं समर्पित
सम्प्रति — उत्तर पश्चिम रेलवे में इंजीनियर
संपर्क —- आबू रोड -307027 ( राजस्थान )