पत्रिका के अनुभाग: अक्टूबर – दिसम्बर २०१५

पत्रिका के अनुभाग: अक्टूबर – दिसम्बर २०१५ (अंक १३, वर्ष ४)

अम्स्टेल गंगा के इस फुलवारी में आपका स्वागत है।
रंग बिरंगे फूलों की इस बगीया में विचरण करे और हमें अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत करायें।

सम्पादक मंडल
अम्स्टेल गंगा

पत्रिका के अनुभाग: विषय सूची 

 

हिंदी साहित्य:::

काव्य साहित्य:

      ग़ज़ल:

ग़ज़ल – कादम्बरी मेहरा

ग़ज़ल – अनन्त आलोक

ग़ज़ल – आलोक यादव

ग़ज़ल-  शिज्जु शकूर

ग़ज़ल – सुमित राज वशिष्ट

ग़ज़ल – प्रखर मालवीय ‘कान्हा‘

कुण्डलिया -त्रिलोक सिंह ठकुरेला

 नवगीत: फिर-फिर पुलकें उम्मीदों में – सौरभ पाण्डेय

हाइकु:

हाइकु – डाँ सरस्वती माथुर 

हाइकु -’नारी ‘ :शालिनी ‘शालू’

कविता:

रामबाडा बह गया – डॉ नीलम राठी

मैं कौन हूँ  - रंजू भाटिया

जिंदगी – - डॉ. कविता भट्ट

रवि – डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

प्यार – डॉ छवि निगम

हिंदी से मेरी बात – - सविता अग्रवाल “सवि”

हिन्दी साहित्य की व्यथा – नवल पाल प्रभाकर

लेख::

लघुकथा की रचना प्रक्रिया – बलराम अग्रवाल

लक्ष्मीजी का आशीर्वाद – संजय वर्मा “दृष्टि “

व्यंग्य::

समाधान – डॉ. प्रमिला शर्मा

कौन है बूढ़ा – अमित कुमार सिंह

बच्चों का कोना::

रामराम –सीताराम – सुधा भार्गव

वो बच्चे अच्छे लगते हैं – नीरज त्रिपाठी

उपन्यास::

एक शाम भर बातें – दिव्या माथुर

लघुकथा::

हैप्पी मदर्स डे – कृष्णा वर्मा

अधजल गगरी छलकत जाए – प्राण शर्मा

उहापोह – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

कहानी::

ममता के आँसू – शील निगम

अंतिम पड़ाव – पुष्पा सक्सेना

घबराओ मत ऐनी – रिया शर्मा

अंजुरी भर – प्रेम गुप्ता ‘मानी’

छद्मावरण – मनीष कुमार सिंह

संस्मरण::

फ़रिश्ता – विजय कुमार

मेरा बचपन – प्रियंका गुप्ता

यात्रावृत्त:

मेक्सिको के अपराध जगत पर अहिंसा की दस्तक – नीलम कुलश्रेष्ठ

भोजपुरी हिंदी साहित्य:::

नया-नया संसार में बानी सात समुन्दर पार – मनोज सिंह ‘भावुक’

कइसे खेले जइबू सावन में कजरिया,बदरिया… – आदर्श‬ तिवारी

आईनी काशी – प्रिंस रितुराज

साहित्यिक समाचार :::

मनोज भावुक बने महुआ प्लस के क्रिएटिव कंसल्टेंट

मुंबई की कथाकार सुमन सारस्वत का शिलांग में सम्मान

पुस्तक समीक्षा:::

“उनकी कहानियों में पानी की तरलता और कथानक की सरलता होती है” – आकांक्षा पारे काशिव

‘’मुक्तिपर्व ‘’ उपन्यास में सामाजिक, आर्थिक,  धार्मिक,  शैक्षिक, राजनैतिक  विषमता –  डॉ. सुनिल जाधव

कला दीर्घा::: 

रंगों की फुलवारी – मीनू सिंह

स्वप्न संसार – कृशानु रॉय

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