जीवन की रेत को
मुट्ठी में जकड़ कर देख
फिसल जाये मुट्ठी से
हथेली में फिर भरकर देख
मुट्ठी में जकड़ कर देख
फिसल जाये मुट्ठी से
हथेली में फिर भरकर देख
नाविक जो खड़ा नदी के तीरे
पानी की गहराई से मुख मोड़े
गहराई में उतरकर देख
भँवर में फिर फँसने के लिए
पानी की गहराई से मुख मोड़े
गहराई में उतरकर देख
भँवर में फिर फँसने के लिए
हवाओं को ना जाने दे
दम में भर ले साँसों की तरह
पानी के सैलाब पर
नाम अपना लिखवाने के लिए
दम में भर ले साँसों की तरह
पानी के सैलाब पर
नाम अपना लिखवाने के लिए
दुविधा को देख सुविधा की तरह
सुविधा को भी शरमानेे दे
बस मुट्ठी को इतना न जकड़
खुल के वो जाये जकड़
सुविधा को भी शरमानेे दे
बस मुट्ठी को इतना न जकड़
खुल के वो जाये जकड़
फिसलने दे रेत को मुट्ठी से
अपनी मनमानी करने के लिए
अपनी मनमानी करने के लिए