मेरी नौकरानी अपने लड़के को खूब पढ़ाना चाहती थी। इसलिए उसने अपने बेटे का एक अच्छे स्कूल में दाखिला करा दिया। वह एक -एक पाई बचाकर उसकी फीस और किताबों का इंतजाम करती। अच्छे से अच्छा खिलाने की कोशिश करती ताकि स्वस्थ रहे और दिमाग का तेज बने। कई बार वह अपने साथ मेरे घर ले आती थी। बात करने में तो वह मुझे बड़ा समझदार और शांत लगा।
एक दिन वह आई तो बड़ी उदास थी। मैंने कारण पूछा तो फूट पड़ी-मालकिन ,मेरा बेटा फेल हो गया।
-क्या? मानो मुझे करेंट मार गया हो।
पल में संभली और पूछा -किस क्लास में?
-सातवीं में।
-किस विषय में?
-हिन्दी में ।
-कैसे फेल हो गया !तू तो बहुत अच्छी हिन्दी बोलती है। तेरा बेटा भी खूब बोलता -समझता है।
-बस बोल ही लेता है, न पढ़ सके,न लिख सके। अक्षर पहचानने और मात्रा लगाने में तो हमेशा भूल करता है। आप लोग के साथ रहते- रहते मैं बंगालिन तीसरी कक्षा पास, हिन्दी बोलना सीख तो गई पर मात्राएँ और व्याकरण तो नहीं मालूम ।
-अच्छा एक बात बता –अक्षर-मात्रा का ज्ञान तो पहली- दूसरी कक्षा में ही दे देते है। जब उसे इतना भी नहीं आता था तो कक्षा छह तक कैसे पास होता चला गया।
-मदद के लिए वह अपनी कक्षा में पढ़ाने वाली मैडम से ट्यूशन लेने जाता था। न जाने उसने क्या पढ़ाया! बस अपनी कक्षा का रिजल्ट अच्छा दिखाने को मैडम कमजोर बच्चे को भी पास करती रहती है। तभी तो पिछले साल उसे तरक्की मिल गई।
-तुझे यह सब कैसे मालूम?
-मैं ज्यादा पढ़ी-लिखी न सही पर मैडम लोगों का यह खेल तो समझती हूँ ।
-तो तुझे यह भी मालूम होगा कि पिछले साल की तरह तेरा बेटा इस साल भी पास क्यों न हुआ?
-हाँ–हाँ यह भी जानू हूँ। इस बार मैडम को अपनी कक्षा की कॉपियाँ जाँचने को न मिलीं। दूसरी मैडम ने जाँचीं। इन मैडम-मैडम के खेल में मैं गरीब तो मारी गई।
- सुधा भार्गव
प्रकाशित पुस्तकें: रोशनी की तलाश में –काव्य संग्रहलघुकथा संग्रह -वेदना संवेदना
बालकहानी पुस्तकें : १ अंगूठा चूस २ अहंकारी राजा ३ जितनी चादर उतने पैर ४ मन की रानी छतरी में पानी ५ चाँद सा महल सम्मानित कृति–रोशनी की तलाश में(कविता संग्रह )
सम्मान : डा .कमला रत्नम सम्मान , राष्ट्रीय शिखर साहित्य सम्मानपुरस्कार –राष्ट्र निर्माता पुरस्कार (प. बंगाल -१९९६)
वर्तमान लेखन का स्वरूप : बाल साहित्य ,लोककथाएँ,लघुकथाएँमैं एक ब्लॉगर भी हूँ।
ब्लॉग: तूलिकासदन
संपर्क: बैंगलोर , भारत
आज की शिक्षा स्थिति पर सुन्दर व्यंग्य | एकदन सटीक | सुरेन्द्र वर्मा |
सही है। ऐसा ही होता है आजरल।