जब भी मैं कविता लिखता हूँ
कलम मेरा देती है संग
सच की शुचिता देती सम्बल,
शब्द मेरे भर देते रंग |
राजनीति का भौंडापन हो
या हो प्रीति का अल्हड़पन
नहीं चूकती लेखनी मेरी
भीड़-भाड़ या सूनापन
तलवारों के साये में भी,
ना होती है दृष्टि -भंग |
भोलापन गाँवों का दिखता
और चुटिलता शहरों की
अंधों को कुछ दृष्टि जैसी
श्रवण-शक्ति है बहरों की
मेरी रचना मूल्यों के हित,
करती रही सदा से जंग |
मैं हिन्दी का सेवक हूँ,
हिन्दी मेरी मातृ-भाषा
शब्द-शब्द को जोड़-जोड़कर,
कविता को देता परिभाषा
माँ वाणी के वरद् हस्त से,
सद्भावों की उठे तरंग |
सच की शुचिता देती संबल,
शब्द मेरे भर देते रंग ||
- विश्वम्भर पाण्डेय ’व्यग्र’
जन्म तिथि - १ जनवरी
पता- कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी , स.मा.(राज.)322201 (भारत)
विधा - कविता, गजल , दोहे, लघुकथा,
व्यंग्य- लेख आदि
सम्प्रति - शिक्षक (शिक्षा-विभाग)
प्रकाशन - कश्मीर-व्यथा(खण्ड-काव्य) एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण - आकाशवाणी-केन्द्र स. मा. से कविता, कहानियों का प्रसारण ।
सम्मान - विभिन्न साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मान प्राप्त |
रचना प्रकाशित करने पर बहुत-2 धन्यवाद…
Nic poem