इस तरह नज़दीकियों का सिलसिला अच्छा नहीं
रोज़ का मिलना-मिलाना बाख़ुदा अच्छा नहीं
मसअले जो हैं हमारे बैठ के सुलझाएँ हम
दो दिलों के बीच इतना फ़ासला अच्छा नहीं
ज़ात-मज़हब कुछ नहीं है, बाँटने का काम है
जो मनुज को बाँट डाले वो ख़ुदा अच्छा नहीं
तू समझता है मुझे औ’ मैं समझता हूँ तुझे
फिर हमारे बीच कोई तीसरा अच्छा नहीं
सौ खताएँ माफ़ तेरी, हर कमी है ख़ासियत
प्यार सच्चा हो अगर तो कुछ बुरा-अच्छा नहीं
मुख़्तसर-सी बात है ये जान पाओ, जान लो
दिल दुखाकर जो मिले वो फ़ायदा अच्छा नहीं
भीड़ से हटकर अगर कुछ कर सके तो सोच ले
भीड़ का हिस्सा न हो ये फ़ैसला अच्छा नहीं
हौसला हो पार जाने का तो दरिया में उतर
ख़्वाब आँखों को दिखाकर फिर दगा अच्छा नहीं
बेचना ईमान को अनमोल दौलत के लिये
कौन समझाये तुझे ये रास्ता अच्छा नहीं
- के. पी. अनमोल
जन्मतिथि: 19 सितंबर
जन्म स्थान: सांचोर (राज.)
शिक्षा: स्नातकोत्तर (हिन्दी)
संप्रति: लोकप्रिय वेब पत्रिका ‘हस्ताक्षर’ में प्रधान संपादक
प्रकाशन: 1. ग़ज़ल संग्रह ‘इक उम्र मुकम्मल’ प्रकाशित (2013)
2. कुछ साझा संकलन में रचनाएँ प्रकाशित
3. देश भर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व अंतरजाल पर अनुभूति, साहित्यदर्शन, स्वर्गविभा, अनहदनाद, साहित्य रागिनी, हमरंग आदि पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
संपादन: 1. साहित्य प्रोत्साहन संस्थान, मनकापुर की पुस्तक शृंखला ‘मीठी-सी तल्खियाँ’ के भाग 2 व 3 का संपादन
2. पुस्तक ‘ख्वाबों के रंग’ का संपादन
3. वेब पत्रिका ‘साहित्य रागिनी’ का सितम्बर 2013 से जनवरी 2015 तक संपादन
अन्य:
- दूरदर्शन से ग़ज़ल पाठ का प्रसारण
सम्मान:
- काव्यांजलि, कोटा की ओर से ‘काव्य गौरव सम्मान-२०१७’