सोते रहो

 

करते करते काम कभी गर तुम थक जाओ
कार्यालय में कुर्सी पर चौड़े हो जाओ
ऐसे सोओ सहकर्मी भी जान न पाएँ
रहे ध्यान ऑफिस में न खर्राटे आयें
ऐसे लो जम्हाई कि दूजे भी अलसाएं
मैनेजर की फटकारें लोरी बन जाएँ
चिंतन की मुद्रा में नींद का झोंका मारो
मीटिंग में मौका पाते ही चौका मारो
ऐसा हो अभ्यास बैठे बैठे सो जाओ
कुंभकरण को तुम अपना आदर्श बनाओ
दो कुरसियां मिलाए के लेओ पैर पसार
मीठी अपनी नींद है इसका मजा अपार

-नीरज त्रिपाठी

 

शिक्षा- एम. सी. ए.

कार्यक्षेत्र – हिंदी और अंग्रेजी में स्कूली दिनों से लिखते रहे हैं | साथ ही परिवार और दोस्तों के जमघट में   कवितायेँ पढ़ते रहे हैं |

खाली समय में कवितायेँ लिखना व अध्यात्मिक पुस्तके पढ़ना प्रिय है |

प्रतिदिन प्राणायाम का अभ्यास करते हैं और जीवन का एकमात्र लक्ष्य खुश रहना और लोगों में खुशियाँ फैलाना है |

कार्यस्थल – माइक्रोसॉफ्ट, हैदराबाद

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