सब बर्खास्त ….

 

आत्मा अपने मौन में थमी हुई,
अभी-अभी दिल का गुबार, गुब्बारा बन उड़ गया,
दिमाग ने भावनाओं पर कस दी मनाही की लगाम,
पर दिल है कि मन-मुटव्वल के तोड़ दिए दरवाज़े,
मांसपेशियाँ, नसें, सब चुप करने लगे इंतज़ार,
नसें गाढ़ी हरी हों करने लगीं रक्त संचार,
बातों की लय में आने लगी थिरकन,
आवाज़ में भर-भरा गया कम्पन,
भावनाएं चेहरे पर लेने लगे अवतार,
हड्डियों को अपनी सरसरी का होने लगा पता,
त्वचा ने कर दी रौंगटे खड़े होने की मुनादी,
आँखें अपलक, अस्थिर, अशांत
हरकतों को आगे बढ़ने का मिला हुक्म
दिल को थोड़ी और धड़कनों को धड़काने का मिला फरमान
सब बर्खास्त, फिलहाल,
कि जहन्नुम पीछे और जन्नत आगे.

 

 

-डॉ अनुज कुमार


हिंदी ऑफिसर 
नागालैंड विश्वविद्यालय

 

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