स्वामी विवेकानंद जी आधुनिक भारत के एक महान चिंतक, दार्शनिक, युवा संन्यासी, युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे । विवेकानंद दो शब्दों द्वारा बना है। विवेक+आनंद । विवेक संस्कृत मूल का शब्द है। विवेक का अर्थ होता है बुद्धि और आनंद का शब्दिक अर्थ होता है- खुशियों
स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अँग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढर्रे पर चलाना चाहते थे। परन्तु उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं। नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से ही बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी।
स्वामी विवेकानंद ने 16 वर्ष की आयु में कलकत्ता से एंट्रेस की परीक्षा पास की और कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की । स्वामी विवेकानंद (नरेन्द्र) नवम्बर,1881 ई. में रामकृष्ण से मिले और उनकी आन्तरिक आध्यात्मिक चमत्कारिक शक्तियों से नरेन्द्रनाथ इतने प्रभावित हुए कि वे उनके सर्वप्रमुख शिष्य बन गये। और स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को कलकत्ता के निकट गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की। 4 जुलाई 1902 को बेलूर में रामकृष्ण मठ में उन्होंने ध्यानमग्न अवस्था में महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए।
स्वामी विवेकानन्द भारतीय संस्कृति एवं हिन्दू धर्म के प्रचारक-प्रसारक एवं उन्नायक के रूप में जाने जाते हैं। विश्वभर में जब भारत को निम्न दृष्टि से देखा जाता था, ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर, 1883 को शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म पर प्रभावी भाषण देकर दुनियाभर में भारतीय आध्यात्म का डंका बजाया। 11 सितंबर 1893 को विश्व धर्म सम्मेलन में जब उन्होंने अपना संबोधन ‘अमेरिका के भाइयों और बहनों’ से प्रांरभ किया तब काफी देर तक तालियों की गड़गड़ाहट होती रही। स्वामी विवेकानंद के प्रेरणात्मक भाषण की शुरुआत “मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों” के साथ करने के संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।
विश्व के अधिकांश देशों में कोई न कोई दिन युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् 1985 ई. को अन्तरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया। भारतीय केंद्र सरकार ने वर्ष 1984 में मनाने का फैसला किया था ।राष्ट्रीय युवा दिवस स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस (12 जनवरी) पर वर्ष 1985 से मनाया जाता है । भारत में स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती, अर्थात 12 जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद जी ने हमेशा युवाओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया और युवाओं को आगे आने के लिए आह्वान किया । स्वामी विवेकानंद ने अपनी ओजस्वी वाणी से हमेशा भारतीय युवाओं को उत्साहित किया है । स्वामी विवेकानंद के विचार सही मार्ग पर चलते रहने कीप्रेरणा देते हैं।
युवाओं के प्रेरणास्त्रोत, समाज सुधारक स्वामी विवेकानंद ने युवाओं का आह्वान करते हुए कठोपनिषद का एक मंत्र कहा था:-
“उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत ।”
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य तक ना पहुँच जाओ।
भारतीय युवा और देशवासी स्वामी विवेकानंद के जीवन और उनके विचारों से प्रेरणा लें।
- युद्धवीर सिंह लांबा ” भारतीय “
व्यवसाय:
मै युद्धवीर सिंह लांबा ” भारतीय “ वर्तमान में हरियाणा इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, दिल्ली रोहतक रोड (एनएच -10) बहादुरगढ़, जिला. झज्जर, हरियाणा राज्य, भारत में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में 23 मई 2012 से काम कर रहा हूँ। हरियाणा इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से संबद्ध, तकनीकी शिक्षा निदेशालय हरियाणा और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ,नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित हैं।
मैने एस.डी. प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान, इसराना, पानीपत ( हरियाणा ) (एनसी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग टेक्निकल कैंपस की सहयोगी संस्था) में 3 मई 2007 से 22 मई 2012 तक कार्यालय अधीक्षक के रूप में कार्य किया। मैने 27अगस्त, 2011 को रामलीला मैदान, दिल्ली में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के जनलोकपाल बिल पारित की मांग लेकर अनिश्चितकालीन अनशन में भाग लिया था ।
शिक्षा:
मैने राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय , झज्जर ( हरियाणा ) से बी.ए. और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (ए-ग्रेड), रोहतक (हरियाणा ) से एमए (राजनीति विज्ञान ) पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, जालंधर ( पंजाब ) से पीजीडीसीए किया है।

