लागे ना मोरा जिया

आज घर की एक-एक दीवार बेजान होते
हुये भी मानों कर रही हों मुझसे अनेक
सवाल ….
“सुमि …क्या यॆ वहीँ धीरज है है जो
कॉलेज के वक्त साये की तरह तुम्हारे
पीछे लगा रहता था ….!
“क्या वहीँ है यॆ जो अपने परिवार वालो के तुमसे
शादी करने के लिये मना करने पर खाना-पीना
छोड़कर कई दिन तक भूख हड़ताल किया रहा ….क्या हुआ आखिर
धीरज को …वो क्यों चला गया तुम्हे छोड़कर ….
क्या वो तुमसे भी खूबसूरत है जिसके लिये
धीरज ने तुम्हारे साथ-साथ अपना घर भी
छोड़ दिया ….बोलो सुमि …?
और तुम हो कि उसे जाते देख रोकने के बजाये बूत बनी
देखती रही …..
क्या हुआ तुम्हारा झूठ तुम पर ही भारी
पड़ गया …अब ….अब क्या करोगी …बोलो सुमि …..”
सुमि अपने दोनों कानों पर हाथ रखकर जोर से चीख
उठी …..
“बस ….बस ..करो …..कुछ मत पूछो मुझसे …मै ….मै उसे
नहीँ रोक सकती थी कोई
फायदा भी नहीँ था …क्योंकि मै
जानती हूँ वो ….वो मेरे बिन ज्यादा दिन
नहीँ रह पायेगा ….देख लेना तुम वो एक दिन ज़रूर लौट
आयेगा ……
हाँ ……वो ज़रूर वापस आयेगा ….” !!
सुमि का  चेहरा आँसुओं से पूरी तरह
भीग रहा था ….और वो अतीत में झांकने लगी …
“उस कॉलेज में  वार्षिक समारोह था ओर उस
समारोह में सुमि ने भी  एक गीत गाया था …
“सजना नहीँ आये हाय ….लागे ना मोरा जिया …”
धीरज उसी कॉलेज के प्रिंसिपल का भतीजा था खूबसूरत ओर हॅंडसम तो था ही  पर थोड़ा चुलबुला भी था..
लेकिन  उच्च परिवार से होने के बाद भी उसकी  हमेशा एक ही  इच्छा रहती कि  वो शादी करेगा तो एक ऐसी लड़की से जो शिक्षित होने के साथ-साथ
संस्कारी ओर सादगी पसंद हो ….उसके लिये रिश्तों कि तो लाईन लगी थी आये दिन कोई ना कोई बैठा ही रहता था …और इस कॉलेज की लड़कियाँ तो पागल ही थी धीरज के लिये ….
फ़िर फ़िर धीरज ने कभी किसी लड़की की तरफ़ आँख उठाकर देखा तक नहीँ था …धीरज अक्सर जब भी  दिल्ली अपने घर आता  तो  वो यहाँ  अपने चाचा जी  यानी इस कॉलेज के प्रिंसिपल साहब से मिलने ज़रूर आता था …
वैसे वो सोफ्टवेर इंजीनियर था  चेन्नई में …
उस दिन जाने उसे क्या शरारत सूझी कि जैसे ही सुमि  मंच से उतर कर आयी तो उसने मंच पर रखा बुके उठाकर सुमि कि तरफ़ बढ़ाते हुये कहा …
“मै आ गया हूँ …मिस …सुमि …हाँ सुमि नाम है न आपका …?”
सुमि ने थैन्क्स कहा और  बुके लिये बिना ही अपनी सीट पर बैठ गई ….!!
सुमि को मंच पर सम्मानित करने के लिये बुलाया गया तो  गिफ्ट के साथ ही उसे वो बुके भी दिया गया ….!!
घर आकर सुमि धीरज के बारे में सोचने लगी …”यॆ आखिर प्रिंसिपल के इस सीधे-सादे भतीजे को हुआ क्या ..यॆ तो कभी कॉलेज किसी भी लड़की कि तरफ़  आँख उठाकर भी नहीँ देखता फ़िर आज ?
लगता है शायद आज मजनूं  की  आत्मा प्रवेश कर जनाब के शरीर में ….सोचते-सोचते सुमि खिलखिलाकर हँस पड़ी …ओर फ़िर से गुनगुनाने लगी अपना पसंदीदा गीत ….”लागे ना मोरा जिया …..”
अचानक सुमि ने देखा उस बुके में कोई कागज का टूकड़ा भी है उसने झट से वो कागज का टूकड़ा उठाया ओर पढ़ने लगी ….
“मुझे गलत मत समझना सुमि तुम्हारी सादगी और मधुर आवाज़ ने मुझे दीवाना बना दिया …आज तुम्हे देखा तो अहसास हुआ  मेरी तलाश पूरी हो गई ….
मै जल्दी ही अपने परिवार वालो से बात करता हूँ  …तुम्हारे बारे में मै सब अच्छे से जानता हूँ  ….
मुझे  चाचा जी ने सब बता दिया है …!!
मेरा इंतजार करना सुमि …!
धीरज …..
धीरज के पत्र को पढ़कर सुमि की कुछ भी समझ में नहीँ आ रहा था कि वो  क्या करे हालाकि  धीरज के बारे में सोचकर वो खुश थी लेकिन धीरज एक  धनाड्य  परिवार से है ओर सुमि का परिवार  मध्यम वर्गीय परिवार है !!
सुमि  कॉलेज गई तो  उसका मन भी नहीँ लगा सब कुछ अजीब-अजीब सा लग रहा था ….
धीरे-धीरे एक महीना बीत गया  ना धीरज कि कोई खैर-ख़बर ही उसे मिल पायी …अब उसे लगने लगा कि इस अमीर जादे ने उसके साथ इतना बड़ा मजाक कैसे किया ?
कुछ दिन बाद अचानक उनके घर के बाहर एक गाड़ी रुकी  सुमि तभी कॉलेज से आयी ही थी ..
उसने देखा गाड़ी में धीरज ओर उसके साथ एक महिला और उसके कॉलेज के प्रिंसिपल भी  थे , उन्हे देखकर सुमि का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा वो घबरा सी गई अचानक यॆ लोग यहाँ उसके घर ओर उसे फली बताया तक भी नहीँ ….
खैर सुमि ने सबको ड्राइंगरूम में बैठाया ओर खुद  घर के अंदर चली गई …
सुमि कि माँ ओर उसके पापा ने मेहमानों कि आवभगत बड़े अच्छे से की  ओर फ़िर इससे पहले कि सुमि के मम्मी-पापा उनके आने का कारण पूछते प्रिंसिपल साहब ने उन्हे धीरज के बारे में सब बातें बता दी …
साथ ही यॆ भी बताया कि धीरज के पापा धीरज के लिये अपने दोस्त कि बेटी का रिश्ता करना चाहते थे लेकिन धीरज ने कई दिन तक खाना तक नहीँ खाया उसकी जिद  थी कि वो शादी करेगा तो सिर्फ ओर सिर्फ सुमि से ….
आखिर उसके परिवार वालों  को उसकी जिद के आगे झुकना ही पड़ा ….
क्योंकि दो महीने कि छुट्टी लेकर धीरज को उसकी शादी के वास्ते ही घर बुलाया था …..
पंद्रह दिन के भीतर ही धीरज ओर सुमि प्रणय-सूत्र में बँध गयॆ ….
दोनो ही एक-दूसरे को बेइंतिहा प्यार करते थे !
दिन ऐसे बीत रहे थे मानों पंख लगे हों ..शादी का एक साल तो यहाँ वहाँ आने-जाने में ही कब निकल गया पता ही नहीँ चला ….
शादी से पहले सुमि के पास अपना पर्सनल फोन नहीँ था
बस पूरे घर में दो ही मोबाइल फोन थे एक सुमि के पापा का ओर दूसरा उसकी मम्मी ओर वो भी उसी से बात का लेती थी जब कभी किसी फ्रेण्ड से बात करनी होती ….
इसलिये सुमि को मोबाइल में कोई ज्यादा रुचि नहीँ थी
जबकि धीरज ने उसका नेट अकाउंट भी बना दिया था …
फ़िर भी वो कम ही  नेट इस्तेमाल करती थी …
जबकि धीरज को तो व्हाट्सेप पर दोस्तो चेट या फेसबुक पर
कोई नई पोस्ट अपडेट ना कर ले चैन नहीँ मिलता था …
लेकिन सुमि  को वो अक्सर ज़रूरी बातें करनी हो तो कॉल करके ही करता था ….
कई बार  कुछ बहुत खास बात वो  कॉल करने कि स्थिति ना हो तो उसके वाहट्सप पर मेसेज ही कर देता था ओर सुमि थी कि दिनभर घर के कामों से फ्री होकर या तो घर कि साजसज्जा में लगी रहती या फ़िर कोई किताब पढती रहती …
सुमि को किताबें पढ़ने का बहुत शौक जो था …
कभी-कभी तो सुमि कि इस आदत कि वजह से धीरज ओर सुमि में हल्का-फुल्का झगडा भी हो जाया करता था
….धीरज गुस्से में कह देता
“अरे कैसी लड़की हो आज जहाँ दुनिया सोशल साइट के पीछे पागल है वहाँ एक तुम हो   जिसे किताबें पढ़ने से ही फुरसत नहीँ ..सुमि देखो किताब पढ़ना ,घर सम्भालना भी बहुत अच्छी बात है लेकिन सोशल साइट्स भी आज लाइफ का ही एक हिस्सा है ..और .यॆ अच्छी बात है कि तुम इन चीजो में अपना वक्त बर्बाद नहीँ करती ..लेकिन ज़रूरी मेसेज तो पढ लिया करो ..प्लीज़ ….”
धीरज कि बात पे सुमि अक्सर शरारत भरी मुस्कान के साथ ही अपने दोनों हाथों से अपने कान पकड़कर धीरे से जब सॉरी बोलती  तो धीरज का गुस्सा फुर्र से गायब हो जाता ..
और वो सुमि को अपनी बाँहों में भर कर कहता ..
“तुम्हारे इस भोलेपन और मासूमियत ने  ही तो दीवाना बना दिया था पहली नज़र में ही मुझे …अच्छा सुमि आज एक प्रॉमिस करो मुझसे ?”
“जी इंजीनियर साहब बताईये क्या प्रॉमिस करना होगा …” सुमि धीरज कि तरफ़ देखकर मुस्कुराते हुये कह देती !
“यही मेरी जान कि वाह्ट्सप पर दिन में एक-दो बार मेसेज ज़रूर चेक कर लिया करो …वरना किसी दिन तुम्हारी यॆ लापरवाही देखना तुम्हे और मुझे बहुत महँगी पड़ जायेगी  …कोई भी इम्पोर्टेंट बात हो कॉल करने का टाइम ना हो तो मै  व्हाट्सप पर  मेसेज छोड़ देता हूँ “
मेसेज कि बात याद आते ही सुमि को अचानक याद आया कि वो अपना वाह्ट्सेप तो चेक करके देखे एक बार कहीँ कोई मेसेज तो नहीँ भेजा धीरज ने …..
वरना आज अचानक से मुझे बेइंतिहा प्यार करने  वाला मेरा धीरज किसी अनजान लड़की को साथ लेकर आयेगा और गुस्से मै मुझसे कहेगा कि …”मुझे नहीँ रहना तुम्हारे साथ मै जा रहा हूँ यॆ घर छोड़कर! ..”!
मै भी कितनी पागल हूँ धीरज ने आते ही धीरे से कहा था
“सुमि तुमने वाह्ट्सेप चेक किया ….”
मैने हाँ बोल दिया .इससे पहले कि धीरज कुछ बोलते अचानक वो अंदर आयी और धीरज का हाथ पकड़कर बाहर खींचते हुये ले गई …यॆ सब अचानक क्या हुआ ?क्यों और कैसे हुआ मै तो समझ ही नहीँ पायी ..उल्टे धीरज को जाते देखकर रोती रह गयी  ….
और वो सच में चला गया …”हे भगवान कहीँ मेरा धीरज किसी मुसीबत में तो नहीँ ….”
सुमि ने जैसे ही अपने मोबाइल का नेट ऑन करके वाहटसप देखा तो उसके एक नहीँ बल्कि तीन-चार मेसेज पड़े थे …
वो धीरज के भेजे मेसेज पढ़ने लगी ….
“सुमि जो लिख रहा हूँ एक-एक शब्द ध्यान से पढ़ना …प्लीज़ ….
मै एक मुसीबत मै फँस गया हूँ और उस मुसीबत से निकलने के लिये सिर्फ एक ही रास्ता है ..मै घर आकर ,एक सिरफिरी लड़की भी होगी मेरे साथ , मै तुम्हे बुरा-भला कहूँगा तो  यॆ समझना मै यॆ सब नाटक अपनी  ग्रहस्थी बचाने और इस मुसीबत से निकलने के लिये कर रहा हूँ …
और हाँ हो सकता है मैं आज रात ना आ पाऊँ घर …
तुम टेंशन मत लेना जान और हाँ आराम से खाना खा लेना और अपना ध्यान भी रखना ….
प्लीज़ सुमि अपने धीरज पर यकीन रखना ….यॆ लड़की कहती है कि मुझसे प्यार करती है और अगर मैने तुम्हे छोड़कर इससे शादी नहीं की  तो यॆ अपनी जान दे देगी और मुझे धमकी भी दे रही है कि सोसायट नोट में मेरा नाम लिखकर मरेगी …
मैने उसे समझाने कि बहुत कोशिश की …पर इस पर तो मानों भूत सवार है …
मुझे तुम्हे छोड़कर इसके साथ जाने का नाटक करना पड़ा …
ताकि इसे मै इसके घरवालों को सौंप सकूं ..और  जल्दी ही वापस घर   भी आ जाऊँ..
…और हाँ सुमि प्लीज़ इस बीच तुम मुझे कॉल या मेसेज भी मत करना ….मै आता हूँ  जल्दी ही घर ….सुमि आई लव यू ….आई लव यू  सुमि …..”!
धीरज का मेसेज पढ़ते-पढ़ते सुमि अपने सिर में हाथ मारकर अपने आप से ही बडबडाने लगी ….
” हे भगवान यॆ मैने क्या किया झूठ ही बोल दिया धीरज से कि हाँ मैने मेसेज देख लिया ….उफ्फ …तो यॆ मेसेज था हे भगवान मुझे माफ करना मेरा धीरज इतनी बड़ी मुसीबत से बेचारा अकेला ही जूझ रहा है और इधर मै हूँ कि ना जाने क्या क्या सोचकर बस आँसू बहाये जा रही हूँ …
मै आज तो पक्का वादा करती हूँ कि  अब हर रोज़  व्हाट्सप  पर मेसेज चेक किया करूँगी ..बस तुम जल्दी से आजाओ ….”
रात भर सुमि ठीक से  सो  भी नहीँ पायी  ….और ऐसे में नींद किसे आयेगी भला ….तभी पाँच बजे का अलार्म बजते ही सुमि बिस्तर से उठ गई और उसने सबसे पहले अपना मोबाइल उठाकर वाहटसप पर देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा …!
“सुमि में सबेरे छः बजे तक आजाउँगा …जानती हो उस लडकी  को लेकर उसके माँ-पापा के पास जाकर सारी बात बताई तो उन्होने अपनी बेटी को खूब डांटने के बाद समझाया और बेचारे मेरे आगे दोनों हाथ जोड़कर खड़े होकर मुझसे माफी मानकर कहने लगे …”बेटा तुम हमारी बेटी को गलत चलने से रोकने का जो रोकर हमारे पास लेकर आये …हम तुम्हारा यॆ अहसान उम्र भर नहीँ भूलेंगे …वरना ज़माना इतना खराब है की कोई और होता तो जाने इस पगली के साथ क्या होता क्या नहीँ ….हमें माफ कर दो बेटा” …और सुमि उन बेचारों nए तो तुमसे भी माफी माँगने को कहा कि तुम्हे जो दुख पहुँचा ….ओह सुमि ….मै आ रहा हूँ अपने घर …
हाँ एक बात और ….जानती हो मैने यॆ सब तुम्हे अब मेसेज में क्यों लिखा …?
क्योंकि मै नहीँ चहता जब मै घर आऊं तो इस बारे में बात करके हम अपना वक्त बरबाद करें ….
ये एक बुरा सपना था और बीत गया …..लव यू माय स्वीट हार्ट सुमि …”!
मेसेज पढ़कर सुमि कि आँखे भर आयी और उसने झट से धीरज की पसंद का  नाश्ता बनाकर डाइनिंग टेबल पर रख दिया और खुद आज धीरज की पसंद की नीले रंग की बार्डर वाली साड़ी पहनकर तैयार होकर अपने धीरज का इंतजार करने लगी ……सुमि
अपने आपसे और घर की सभी दीवारों से  खुशी से झूमकर कहने लगी ….
देखा मै ना कहती थी …देखना वो ज़रूर आयेगा ….और वो आ रहा है …
मेरा धीरज ..
मेरा प्यार …
मेरी जिंदगी ….ओह….लव यू धीरज
…..!!!!
सुमि ने धीरज की  पसंद की  नीले रंग की गोल्डन किनारी वाली  साड़ी पहनी
और फ़िर से गुनगुनाने लगी वहीँ अपना पसंदीदा गीत ….
“लागे ना मोरा जिया ….!!!
- सविता वर्मा “ग़ज़ल”

जन्म- १ जुलाई

पति- श्री कृष्ण गोपाल वर्मा।

जन्म स्थान- कस्बा छपार , मुज़फ्फर नगर (उप)

शिक्षा- आई.टी,ई, कहानी-लेखन डिप्लोमा ।

प्रकाशन+प्रसारण- क्षेत्रीय , अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ में ,आकाशवाणी से ।

लेखन विधा- कविता,कहानी,गीत,बाल साहित्य,नाटक,लघु कथा, ग़ज़ल,वार्ता, पिरामिड, हाइकु,आदि ।।

सम्पादकीय- एहसास( ग़ज़ल संग्रह), समर्पण 5 ( काव्य संग्रह), काव्य शाला(काव्य संग्रह), अमीबा(मासिक पत्रिका), कस्तुरी कंचन( काव्य संग्रह), श्रोता सरगम(वार्षिक पत्रिका)

पुरस्कार,सम्मान- वीरांगना सावित्री बाई फुले फैलोशिप सम्मान-2003 देहली।
* महाशक्ति सिद्धपीठ शुक्रताल सम्मान-2004।
*लघु कथा पुरस्कार सामाजिक आक्रोश -2005 सहारनपुर।
*शारदा साहित्य संस्था जोगीवाला राजस्थान द्वारा हिंदी साहित्य सम्मान-2004 ।
*भारती ज्योति मानद उपाधि -2007 इलाहाबाद ।
*नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड देहली द्वारा समाज सेवा हेतु -2008 ।
*भारती भूषण सम्मान-2008 इलाहाबाद ।
*विनर ऑफ़ रेडियो क्विज़ ” दिल से दिल तक ” 20012 ।
*कहानी पुरस्कृत -2014 अम्बाला छावनी।
*गुगनराम एजुकेशन एन्ड सोशल वेल्फेयर सोसायटी बोहल द्वारा पुस्तक “पीड़ा अंतर्मन की” पुरस्कृत -2014 ।
*आगमन एक खूबसूरत प्रयास द्वारा सम्मान-2014 ।
*उत्कृष्ट साहित्य एवम् काव्य भूषण सम्मान-2015 खतौली।
*नगर पालिका मुज़फ्फर नगर द्वारा सम्मान-2015 ।
* पद्मभूषण डॉ विन्देश्वर पाठक जी द्वारा साहित्य सेवा सम्मान – 2015 ।

सामाजिक संस्था “प्रयत्न” द्वारा “नारी शक्ति रत्न” सम्मान 2015 ।
“आगमन साहित्यिक एवम् सांस्कृतिक संस्था द्वारा “विशिष्ठ अतिथि सम्मान” 2015 ।

विशेष—नारी सशक्तिकरण पर बनी फ़िल्म “शक्ति हूँ मैं” में अहम भूमिका।

*पुस्तक- “पीड़ा अंतर्मन की” प्रकाशन-2012।
*संपादन- काव्य शाला (काव्य सन्ग्रह),

“आगमन एक खूबसूरत अहसास ” त्रैमासिक पत्रिका।
अहसास (ग़ज़ल संग्रह) ,समर्पण-5(काव्य संग्रह)।
“श्रोता सरगम” वार्षिक पत्रिका।
“अमीबा” मासिक पत्रिका ।
सम्बन्ध- उपाध्यक्ष”आगमन साहित्यिक एवम् सांस्कृतिक संस्था ।
“प्रयत्न” संस्था सदस्य

“अखिल भारतीय कवियित्री सम्मेलन एवम् अनेक काव्य संस्थओं की आजीवन सदस्या ।

सम्पर्क- मुज़फ्फर नगर (उप)

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