मशहूर

मुझे भी बताओ
तुम कैसे झूठ बोल कर
लोगों को बेवकूफ बनाते हो ।
मुझे भी बताओ
तुम कैसे हरदम
अपने चेहरे पर हँसी लाते हो ।।
मुझे भी बताओ
तुम कैसे अपना
हरदम दुःख छिपाते हो ।
मुझे भी बताओ
तुम कैसे शत्रुओं
से भी हाथ मिलाते हो ।।
मुझे भी बताओ
तुम कैसे अपनी
मीठी बातों में लोगों को
लोगों को बहलाते हो ।।
जिस दिन मैं तुमसे
यह सब गुर सीख जाउंगा
उस दिन शायद
मैं भी तेरी तरह
मशहूर हो जाऊंगा।।

 

 

 

डॉ. अकेलाभाइ

 डा. अकेलाभाइ (जन्म- २५ दिसंबर) ने पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय शिलांग से एम. ए. (हिंदी) एर्वं पीएच.डी. की उपाधियाँ ली हैं। पूर्वोत्तर भारत में विगत २९ र्वर्षों से आकाशवाणी से संबद्ध रहते हुए हिंदी भाषा एवं नागरी लिपि का प्रचार-प्रसार खूब किया है। इन्होंने हिंदी के लेखन एवं  प्रकाशन तथा नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार के लिए  पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी की स्थापना की। अनेक साहित्यिक सम्मेलनों, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं तथा नागरी लिपि प्रशिक्षण का सफलतापूर्वक आयोजन एवं संचालन किया है। इनकी अनेक रचनाएं सरिता, मुक्ता, सरस सलिल, गगनाञ्चल आदि प्रख्यात पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के सचिव (मानद) के रूप में  राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक हिंदी-सम्मेलनों के सफल आयोजक भी रहे हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मौलिक  लेखन के लिये लिए भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार के साथ-साथ ३० से अधिक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार से सम्मानित हैं। 

 

Leave a Reply