सपने सज़ाए आँखों में
ख्वाइशें दबाई सीने में
कुछ सोचा पाने को
मंजिल की राह चल
कहीं से मिला सुकून
हसीं शाम का पल
दिल को ले चल
मंजिल की राह चल।
छोड़ बेचैनी की नींद
मिले कई चश्मदीद
बीत जाए न ये पल
मंजिल की राह चल।
कुछ पाने की उम्मीद कर
जमाने से न तो डर
अनवरत अविरल
मंजिल की राह चल।
न कर किसी से नफरत
किये जा सबसे मुहब्बत
कांटों को दलता चल
मंजिल की राह चल।
- मुकेश बिस्सा
मूल निवास: जैसलमेर
पता : वखुनिया,गांधी कॉलोनी , जैसलमेर
योग्यता:बी एस सी,बी एड
नौकरी :प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक ( गणित)
केंद्रीय विद्यालय वायुसेना स्थल , जैसलमेर , राजस्थान
रुचि: लेखन, गायन एवम भ्रमण
पुरुस्कार: विगत 2 वर्षो से उच्चतम परीक्षा परिणाम के लिए क्षेत्रीय संभाग द्वारा श्रेष्ठ शिक्षक पुरुस्कार
विशेष : अनेक समाचार पत्रो में कविताएं प्रकाशित,कविता संकलन अभिव्यक्ति
पता : वखुनिया,गांधी कॉलोनी , जैसलमेर
योग्यता:बी एस सी,बी एड
नौकरी :प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक ( गणित)
केंद्रीय विद्यालय वायुसेना स्थल , जैसलमेर , राजस्थान
रुचि: लेखन, गायन एवम भ्रमण
पुरुस्कार: विगत 2 वर्षो से उच्चतम परीक्षा परिणाम के लिए क्षेत्रीय संभाग द्वारा श्रेष्ठ शिक्षक पुरुस्कार
विशेष : अनेक समाचार पत्रो में कविताएं प्रकाशित,कविता संकलन अभिव्यक्ति