भारत एगो अईसन देश हऽ जहवा फरका फरका पहिनावा , बोलचाल , धर्म आ सोच के लोग रहेला |
बाकिर इ सबन के एकेगो चीज एक जईसन बा की उ लोग के पहचान भारत देश से होला
केहू देवनागरी लिपि से लिखे ला आपन भारतीय होखे के पहचान त केहू गुरुलिपि भा द्रविड़ से |
पाहिले भारत के पहचान संस्कृत से होत रहे आ संस्कृते अईसन भाखा ह जवना से खाली भरते ना दुनिया के कई गो भाषन के जनम भईल बा | वैदिक संस्कृत पाहिले ब्राह्मी लिपि में लिखल जात रहे अउर ब्राह्मी लिपि से कईगो लिपि के उद्भव भईल जे आजो उ भाषा आ लिपि आपन अस्तित्व बनावे में सफल बिया |
येही से कहल जाला की हर भाखा संस्कृत से उत्पन भईल बा , येही से खास करके भारतीय भाषा कउनो लिपि में लिखल जात होखे बाकिर कई गो शब्द एक दूसरा से मेल खाला | इहवा एगो अउर बात बा की भारत कुछ अईसनो भाखा बडिसन जवन सीधे संस्कृत से नईखी निकलल सन ओही लेखा जईसे बाबा होल ओकरा बाद बाउजी होल ओकरा बाद बेटा/बेटी होल | इ उदाहरन से रउआ सभे के बुझा गईल होखी
बंगल भाखा सीधे मगध साम्राज्य के भाषा से फरका भईल बिया आ सबसे अहम बात इ बा की आज जवन बंगाल में बंगला बोलल जाला ओकर जनम स्थान बंगाल ना हs ओकर जनम बिहार के उ भाग में भईल रहे जवना के आज झारखण्ड के नाव से जानल जाला , इ समुदाय पचिन बिहार(अब झारखण्ड)से आके अधिक संख्या से बंगाल/गौड़ में बसल रहेलो | आज जवन लिपि में बंगला लिखल जाला उ पाहिले कैथी लिपि में लिखल जात रहे | उहे कैथी लिपि जवना में भोजपुरी,मैथली,अवधि/छतीसगढ़ी आदि जईसन भाखा लिखल जात रहे | हमरा कहे के मतलब इ रहल ह की हिंदी जे आज भारत के राज भाषा आ अस्तित्व ह जवना के देश में सबसे जादे बोलल आ बुझल जाला ओकरा बारे में कुछो हिंदी के अगुआ लो भ्रम आ झूठ फईलावले बा लो जेकरा जवन बुझईल आपन आपन मत देते गईल लो बाकिर इ जाईज बाकी इ लो जवन दुनिया के सामने रकल लो उ झूठ रहे |हिंदी आ उर्दू दुनो एके ह फरका इ बाकि हिंदी देवनागरी में लिखल जाला आ उर्दू अरबी के रूप नस्तोलिक लिपि में |हिंदी जब भारतीय भाषा के संपर्क में आईल त खास करके बिहार ,यूपी समेत राजस्थान क मय भाषा में त एकर रूप भारतीय तर्ज प आईल |हिंदी/उर्दू के शब्द कोश में अरबी , फारसी आ तुर्की भाखा के शब्द सबसे बेसी बा (एकरा के एगो अंग्रेजी किताबो प्रमाणित कईलेबिया ) | हिंदी एगो आधुनिक भाखा ह जे मजबूत बा एकरा के सबसे आसानी से बोलल आ बुझल जाला येही से इ आज देश के अस्तित्व ह जवन सही बा बाकिर इ सही नईखे की हिंदी , भारत(उत्तर भारत)के हर भाषा के माई/बाप ह | हिंदी के उत्पति में खास भारत के जवन प्रांतीय भाषा बाडिसन ओकर मुख्य योगदान बा इ सब भाषा के समवेश से हिंदी के अस्तित्व आईल बा काहे से की हर प्रांतीय भाषा के मूल जनम जगह बा बाकिर हिंदी के नईखे कहे की इ परदेशिक ना अरबी /फारसी/तुर्की आ भारतीय प्रांतीय भाषा के मेल ह | आब तनी आपन माईभाखा के बारे में बतकही कईल जाव भोजपुरी भाखा एगो आजाद भाषा ह जवना के उत्पति प्राकृत आ पली के सघे सघे संस्कृत के जोग से भईल बा |
आज जवन भोजपुरी के मूल क्षेत्र के रूप के बतावल जाला उ पाहिले ना रहे भोजपुरी के जवन ‘भोजी समाज’ बा उ उजैन के मूल रहे लो कउनो कारन बस उहा से भोजपुर(शाहाबाद)में ओकरा बाद बक्सर आ बलिया में बसल लो ,एमपी के भोजपुर होते बिहार के भोजपुर तक भोजपुरी अस्तित्व रहे (राजा भोज क नगरी )| आज भोजपुरी प्रांतीय नईखे देश के कोना कोना में उपयोग होता |
माराठी आ भोजपुरी के कईगो शब्द के मेल होता जईसे ‘नाव’ के , एकर हिंदी में माने ‘नाम’ होला, ‘आजी’ दुनो भाखा में उपयोग होला जवना के हिंदी में ‘दादी’ कहल जला येहिसही कईगो शब्द बडिसन |
इ सब भासन के मेल के साफ कारन इहे लउकता की संस्कृत के अंश के सघे सघे मूल जगह से दुसरे जगह पलायन के चलते शब्दन के व्यवहार , से भाखा के मेल भईल|
झारखण्ड/बंगाल/असाम के संथाल समाज के भाषा क मेल उत्तर भारत के साथे दक्षिण भारतीय भाषा से देखल जा सकता |
दक्षिण भारत भाषा (तमिल) के प्रभाव श्री लंका में भी देखल जा सकता सिंघली भाखा के तौर पर |
गुजरती आ माराठी के लिपि फरका बा बाकिर कुछ शब्दन के मेल साफ लउके ला |
भाषा समाज आ देश के आईना होला एकरा के आदर करी आ माईभाखा अउर देश भाषा के आदर करी तबे राउर पूछ होई |
भारत में संघराज भाषा हिन्दी के बाद सबसे बेसी बोले जाय वाला भाषा भोजपुरी ह। समय समय पर एकरा क 8 वी अनुसूची में सामिल करे के मांग उठत रहत बा । एकरा खातिर फरका फरका आन्दोलन भईल बाकिर इसब आंदोलन तुच्छ राजनीति क शिकार हो गईल । अब जरूरत बा एगो अईसन आंदोलन के जवन जनांदोलन बन जाये।
भोजपुरी भाषी जनसंख्या 20 करोडो से बेसी बा । इ लोग भारत के विभिन्न हिस्सा मे अपन विशेष प्रभावो रखेला लो । सिंधी , मणिपुरी अवुर इहा ले कि नेपाली भाषा 8वीं अनुसूची मे बा जबकि इ भाषन के बोले वाला भोजपुरी भाषियोन क तुलना मे काफी कम लाखन में बा । आलोचक शामिल ना करे के तर्क देला लो की येही से हिन्दी ही नुकसान होई उनकर संख्या कम होई। दूसरा इ कि भारतीय रूपया (नोट)पर मय भाषा के लिखल आसान ना होई काहे की एक नोट पर जगह कम होला । इसब मय तर्क मे दम नईखे इ बहाना ह ।
‘एक मारिशस की हिन्दी यात्रा’ मारिशस के हिन्दी विद्वान सोमदत्त बखोरी अपन किताब ’एक मारिशस की हिन्दी यात्रा’ मे लिखत हउअन कि भोजपुरी खाली घर के भाषा ना रहे , इ मय गाँव क भाषा रहे , भोजपुरी के दम पर लोग हिन्दी समझ लेत रहे आ हिन्दी सीखल चाहत रहे । आज हम बेहिचक कह सकत बानी कि इस देश मे हिन्दी फलल फुलल बिया त भोजपुरी के प्रताप से। दोसर तर्क क बात कइल जाये त अमेरिका मे शुरुआत मे 14 राज्य रहे जवन अब 50 हो चुकल बा । उहा क नोट पर 14 अलग अलग तार आ अन्य राज्यन क झंडा अवुर छोट छोट अक्षर मे नाव लिखल बा । कुछो अईसने फार्मूला आरबीआई अपना सकेले ।
भोजपुरी भाखा क संबिधान में शामिल करे खातिर कई बेरी विधेयक संसद में लिआवल गईल ।बाकिर हर बेरी कवनो ना कवनो बहाना कके टाल दिहल जाला । लोकसभा मे भोजपुरी भाषी सांसदन क संख्या के कवनो कमी नईखे । जवना में देखल जाये त विशुद्ध रूप से भोजपुरी भाषी लोकसभा क्षेत्र के संसदन क संख्या 90 से 100 ले बा (यूपी/बिहार/झारखण्ड आ अन्य)। दोसर परदेसन सेहु भोजपुरी भाषी सांसद चुन क आवे ले जईसे नार्थ ईस्ट दिल्ली से मनोज तिवारी जईसन अवुर नाव बा । पंजाब से सांसद सीमरजीत सिंह संसद मे कहले रहन कि-‘गुरु गोविंद सिंह जी क रचना भोजपुरी में बा ।भोजपुरी सिनेमा क बजट 500 करोड़, जदी भोजपुरी बाज़ार क बात कइल जाये त इ सबके (समेत गैरभोजपुरी भाषी) ध्यान अपन ओरी खींले बा । जहवा सनीमा के कम लागत मे बहुत निमन कमाई हो जाला । इहे कारण ह कि बॉलीवुड के प्रोडूसर/डायरेक्टर/स्टार इहवा अपन किस्मत आज़मावे लालो। अमिताभ बच्चन , मिथुन,अजय देवगन , धर्मेन्द्र जईसन सुपर स्टार के सघे कइगो बड़हन डायरेक्शन आ प्रोडक्सन कम्पनी । 2004 में मनोज तिवारी क आइल फिल्म ‘ससुरा बड़ा पईसा वाला’ मात्र 27 लाख मे बनल आ 6 करोड़ क कमाई कइलस तक से भोजपुरी माने मनोज तिवारी आ पॉलीवुड सनीमा जग जाहिर हो गईल । ओकरा बाद त इहा फिल्मन क बाढ़ आ गईल ,जवन अबले चलता तेजी से । भोजपुरी भाखा भा भोजपुरी कल्चर से प्रभावित एक से एक टीवी चैनल क सुरुआत हो गईल बा (महुआ/संगीत भोजपुरी/बिग मैजिक गंगा /अंजना /ओस्कर मूवी/हमार टीवी ..जईसन चैनल) । भोजपुरी क इंटरनेट फ्रेंडली बनावे के प्रयास कईल जाता । बीएचयू के भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान व भोजपुरी अध्ययन केंद्र मिलकर इंटरनेट फ्रेंडली बनावे मे जुटल बा । खबरिया पत्रकारन मे कईगो बड़ नाव बा रवीश कुमार,पुण्य प्रसून,उर्मिलेश जइसन पत्रकारो भोजपुरी भाषी हवन जे आज हिन्दी पत्रकारिता क रीढ़ बन चुकल बालो , एकरा बावजूदो भोजपुरी अधिकार आन्दोलन के मीडिया कवरेज ना मिल पावेला ।मारिशस , फिजी जइसन देश भोजपुरी के चलते बसल आ फलत फुलत बा | भोजपुरी क 8वि अनुसूची में ना होवे के चलते साहित्य पुरस्कार ,फिल्म क राष्ट्रीय अवार्ड,भोजपुरी लेखकन क राष्ट्रीय पुरस्कारोन के श्रेणी से बाहर रखल जाला । जवन की भोजपुरी के 20 करोड़ जनमानस के साथ भेदभाव बा । भोजपुरी क लोकप्रियता के मिठापन क अंदाज़ा इहे बाते से लगावल जा सकता कि संगम नगरी मे मारिशस से आइल एक विदुषी कहले रहे कि भोजपुरी क मिठापन के प्रगाढ़ते ह कि उ मारिशस जइसन टापूवो क स्वर्ग बना देहलस । हम रउआ सभन से एगो सवाल करे चाहतानी की काहे भोजपुरी भाखा क दूरदुरावल जाता, दोसर लोग त करते बा खास करके बेटा आपन महतारी के , आपन मन से जबाब लिही |
- प्रिंस रितुराज
ये रचनाकार के रूप में अपना हुनर दिखाना चाहते हैं।
दिल्ली से छपने वाली भोजपुरी/हिंदी पत्रिकाओं में इनकी रचना प्रकाशित होती रहती है।
वर्तमान में ये भारत में हैं।