(1) चलती हूँ मैं जमाना कहता
पर मैं चली ना अबतक देखो
टेड़ी मेड़ी कभी मैं सीधी
मंजिल पहुँचो तब तक देखो
पर मैं चली ना अबतक देखो
टेड़ी मेड़ी कभी मैं सीधी
मंजिल पहुँचो तब तक देखो
(2) झुके तो भारी उठे तो हल्का
एक वस्तु के दो हैं पांव
गली गली और शहर शहर
जो मिलती है गाँव गाँव
एक वस्तु के दो हैं पांव
गली गली और शहर शहर
जो मिलती है गाँव गाँव
(3) बिना सहारे लटक रहे हैं
बिन बिजली के चमक रहे हैं
बिन बिजली के चमक रहे हैं
(4) पंख नहीं पर उड़ती हूँ मैं
नई-2मंजिल गढ़ती हूँ मैं
मैं रानी हूँ आसमान की
बिना बात के लड़ती हूँ मैं
नई-2मंजिल गढ़ती हूँ मैं
मैं रानी हूँ आसमान की
बिना बात के लड़ती हूँ मैं
(5) ना मैं लकड़ी फिर भी डण्डी
बिन पैर पहुँचाती मण्डी
मैं सड़क की हूँ महतारी
पर बेटी से अब मैं हारी
बिन पैर पहुँचाती मण्डी
मैं सड़क की हूँ महतारी
पर बेटी से अब मैं हारी
(6) घर की डाॅक्टर
घर की रानी
बीच चौक में
लगे सुहानी
घर की रानी
बीच चौक में
लगे सुहानी
(7) पैर चार पर पशु ना माना
जिसे चाहता सभी जमाना
देती दूध आजकल इतना
भैंस नहीं देती है उतना
जिसे चाहता सभी जमाना
देती दूध आजकल इतना
भैंस नहीं देती है उतना
(8) तन का सख्त मन का नरम
जिसके बिना ना होते शुभकरम
नाम इसका बताओ तुम
फोड़ फोड़कर खाओ तुम
जिसके बिना ना होते शुभकरम
नाम इसका बताओ तुम
फोड़ फोड़कर खाओ तुम
(9) जिसमें पूरा संसार समाया
हर घर घर हर हाथ में आया
दुश्मन संग मित्र भी होता
किसने कैसे गले लगाया
हर घर घर हर हाथ में आया
दुश्मन संग मित्र भी होता
किसने कैसे गले लगाया
(10) पढ़े लिखों का जो हथियार
थामोगे तो चलता यार
कदम कदम काम आता है
लगा के सीना करते प्यार
थामोगे तो चलता यार
कदम कदम काम आता है
लगा के सीना करते प्यार
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पहेलियों के उत्तर :- 1. सड़क 2. तराजू 3. तारे 4. तितली 5. पगडंडी 6. तुलसी 7. कुर्सी 8. नारियल 9. मोबाइल 10. पैन ।
- विश्वम्भर पाण्डेय ’व्यग्र’
जन्म तिथि - १ जनवरी
पता- कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी , स.मा.(राज.)322201 (भारत)
विधा - कविता, गजल , दोहे, लघुकथा,
व्यंग्य- लेख आदि
सम्प्रति - शिक्षक (शिक्षा-विभाग)
प्रकाशन - कश्मीर-व्यथा(खण्ड-काव्य) एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण - आकाशवाणी-केन्द्र स. मा. से कविता, कहानियों का प्रसारण ।
सम्मान - विभिन्न साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मान प्राप्त ।