१.
खेल रहे थे मुन्नू राजा
लेकर खूब खिलौने प्यारे
दिखे दूर से चुन्नू भैया
झट से लगे छुपाने सारे |
२.
कुछ कच्चे कुछ पक्के लाए
खरबूजे कितने मन भाए
अम्मा मुझको लगीं डाँटने
गमले में जो बीज लगाए |
३.
टिक-टिक करती चले घड़ी
कहीं न जाए वहीं खड़ी
ठीक-ठीक जब समय बताए
अच्छी सबको लगे बड़ी |
४.
हूँ कितनी चिंता का मारा
जाने क्या है नाम हमारा
दादा कहते सुन शैतान
दादी कहतीं नैन का तारा !
- डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
जन्म स्थान : बिजनौर (उ0प्र0)
शिक्षा : संस्कृत में स्नातकोत्तर उपाधि एवं पी-एच 0 डी0
शोध विषय : श्री मूलशंकरमाणिक्यलालयाज्ञनिक की संस्कृत नाट्यकृतियों का नाट्यशास्त्रीय अध्ययन।
प्रकाशन : ‘यादों के पाखी’(हाइकु-संग्रह ), ‘अलसाई चाँदनी’ (सेदोका –संग्रह ) एवं ‘उजास साथ रखना ‘(चोका-संग्रह) में स्थान पाया।
विविध राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय (अंतर्जाल पर भी )पत्र-पत्रिकाओं ,ब्लॉग पर यथा – हिंदी चेतना,गर्भनाल ,अनुभूति ,अविराम साहित्यिकी ,रचनाकार ,सादर इंडिया ,उदंती ,लेखनी , , यादें ,अभिनव इमरोज़ ,सहज साहित्य ,त्रिवेणी ,हिंदी हाइकु ,विधान केसरी ,प्रभात केसरी ,नूतन भाषा-सेतु आदि में हाइकु,सेदोका,ताँका ,गीत ,कुंडलियाँ ,बाल कविताएँ ,समीक्षा ,लेख आदि विविध विधाओं में अनवरत प्रकाशन।
सम्प्रति निवास : वलसाड , गुजरात (भारत )