मैं तुम्हारा प्रतिबिम्ब हूं
तुम्हें मुंह चिढ़ाता हुआ
इस भू-खंड पर खड़ा हुआ
और नहीं कुछ बस केवल
तुम्हारा ही आइना हूं
चाहो तो अपनी छविसुधार लो
मैं तुम्हारेपाप पुण्य का परिणाम नही हूं
न हीं मैं बीज से ,
उपजा हुआ फल हूं।
मैं तो तुम्हारी छवि का
एक असत्य प्रतिमान हूं
तुम एक पल को हट जाओ
तो मेरा अस्तित्व समाप्त हो जाता है
मैं तो एक पुल हूं तुम और तुम्हारे बिम्ब के बीच
जब-जब यह पुल टूट जाता है
यह बिम्ब झूठा पड़ जाता है।
किन्तु तुम्हारा सत्य
यानी तुम मरते नहीं
क्यों कि तुम बिम्ब नहीं बिम्ब के आधार हो
- उषा वर्मा
जन्मतिथि- 26 मई, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश, भारत
शिक्षा-बी.ए,हिंदी अंग्रेज़ी,दर्शन शास्त्र। एम.ए (दर्शन शास्त्र),पी.जी.सी.ई यू.के
उषा वर्मा की कहानियों का तथा कविताओं का चेक, उर्दू,तथा इंग्लिश भाषा में अनुवाद
भाषा- हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, बँगला
विधा- कहानी, कविता, आलोचना और अनुवाद
मुख्य कृतियां- कविता-संग्रह क्षितिज अधूरे, कोई तो सुनेगा
कहानी संग्रह- कारावास,सिमकार्ड
संपादित- ‘सांझी कथायात्रा’, ‘प्रवास में पहली कहानी’
अनुवाद- ‘हाऊ डू आई पुट इट ऑन’, अंग्रेज़ी से हिन्दी में ‘ढूंढ फिरी मैं चारों धाम” उर्दू से हिंदी में
उपन्यास- ‘मॉम डैड और मैं’ छ अन्य लेखिकाओं के साथ। लेखक, संपादक और संयोजक उषा वर्मा
“कहानी कॉस्ट इफ़ेक्टिव”,(बीसवीं सदी की कथा-य़ात्रा अंक 5 प्रकाशक साहित्य अकादमी में सम्मिलित। चयन एवं संपादन: कमलेश्वर
कहानियों का अनुवाद चेक,उर्दू तथा अंग्रेज़ी भाषा में।
सम्मान- पद्मानंद साहित्य सम्मान (कारावास), निराला साहित्य सम्मान, शाने अदब, अभिव्यक्ति साहित्य सम्मान, अक्षरम साहित्य सम्मान (कोई तो सुनेगा), अंतरराष्ट्रीय हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार
सम्प्रति- केम्ब्रिज वि. वि. में हिंदी साहित्य एवं हिंदू धर्म परीक्षक। इसके अलावा स्वतंत्र लेखन। अवकाश प्राप्तः(सीनियर लेक्चरर,लीड्स मेट्रोपॉलिटन वि.वि.)
संपर्क- यॉर्क, यू के