पेड़ों की छांव तले रचना पाठ की ५९ वीं साहित्यिक गोष्ठी संपन्न हुई

वैशाली , 25 अगस्त ,

“देश भक्ति और राष्ट्र प्रेम विषय” पर पेड़ों की छांव तले रचना पाठ की 59वीं साहित्यिक गोष्ठी संपन्न हुई ।

 

निरंतरता को कायम रखते हुए ,घनघोर बारिश , काली बदरी और उमड़ घुमड़ कर गरज के साथ कभी तेज और कभी रिमझिम बारिश की फुहारें के बीच संयोजक के निवास पर गोष्ठी का प्रारम्भ कवि आलोचक वरुण कुमार तिवारी की अध्यक्षता में कुमार “कम दिल” की गज़लों से हुआ जिसमें गोष्ठी के विषय “देश भक्ति और राष्ट्र प्रेम ” से संबन्धित अशआर पढे गये । पाकिस्तान पड़ोसी देश को 14 अगस्त को संदेश देते कुमार कम दिल ने कहा -

“जश्न-ए आजादी तुम भी मनाओ, हम भी मनाएं । / रश्म-ए-दस्तूर तुम भी निभाओ, हम भी निभाएँ ।। / अम्न-ओ-चैन सरहदों पर यूं कायम रहे हमेशा ।/ न तुम गोली चलाओ, और न हम गोली चलाएँ ।


इसी क्रम में कवि अवधेश सिंह ने काश्मीर पर धारा 370 के हटाये जाने के बाद कानूनी मुस्तैदी को कविता जिसका शीर्षक “खैर नहीं “ था उसे पढ़ा – खैर नहीं / ठंडी हवा को गर्म करने वाले / अफवाह बाजों की /खैर नहीं / पोथी, धर्म की पुस्तकों / और साहित्य में / नफरत और अलगाव का /बीज बोने में माहिर जमात की / खैर नहीं / उस किसी भी पसंद की / जिसे अमन न पसंद हो / क्योंकि खुद्दारी से / खैरियत रखनी है हमें / देखे अनदेखे / सुने , कभी नहीं सुने / उन तमाम खुराफातों से / जिसने / जीवन हराम कर दिया है / दुनिया के स्वर्ग / काश्मीर का / जिसके नापाक इरादों ने / बंधक बनाया है / बेइंतिहा खूबसूरत घाटी की / बेनजीर फिजां को …

 


कवि आलोचक डा वरुण कुमार तिवारी ने संदेश देती भाव पूर्ण कविताए पढ़ीं “ जीवन जितना भी छोटा हो / कितना ही विषाद पूर्ण / और मौत / कितनी ही निश्चित / फिर भी उदास होने का / क्या अर्थ है / लेकिन / जहर बुझी धवनियों को / सुनने में ही / चूक जाता है / जीवन –रस / और वक्त के माथे पर / शिकन तक नहीं आती / ऐसे अंधेरे वक्त में अब / रोशनी का एक कतरा भी / दिखाई पड़े / तो बसा लें / आँखों में / और गलत कर दें / दुख और मौत को ।

 


गोष्ठी में अलग विधा की शीतलता प्रदान करते हुए कहानी कार मनीष सिंह ने अपने अप्रकाशित उपन्यास के अंश “इंवेस्टर्स को क्या जवाब देंगे?’’ पढ़ा ।  गोष्ठी का सफल संचालन संयोजक अवधेश सिंह ने किया और आयोजन में योगेन्द्र चौधरी , अपूर्वा सिंह और अनीता सिंह का सहयोग रहा ।

 
- अवधेश सिंह , संयोजक व अध्यक्ष पेड़ों की छांव तले फाउंडेशन (पंजीकृत )

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