उँगलियों पर रहे थिरकती,
लेखा-जोखा समय का रखती,
देखो वो चली, विदा ले चली,
हाथ हिलाते, हँसते-मुस्काते,
ये बारह माहों की गिनती,
तीन सौ पैंसठ दिनों का सफर,
खत्म कर पकड़ेगी, इक कोरी-नई ड़गर,
इसके नए पन्नों पर होगी ,
अब लिखी इक इबारत नई,
छोड़ अनेकों पीछे, अनेकों साथ जोड़ते,
देखो वो आई, आ ही चली,
इक नूतन बारह माहों की गिनती,
समय-प्रवाह थपेड़े में ,
जीवनयात्रा के इस रेले में,
इक वर्ष और अब कम होगा,
कुछ और होंगे नवल सुख ,
कुछ और अलग गम होगा,
होंगी नई उमंगें, आशाएँ नई,
देखो वो खड़ी, दस्तक देने आ चली,
ये नूतन बारह माहों की गिनती,
छोड़ विगत, वर्तमान सँवारें,
आगत के सहर्ष पाँव पखारें,
सर्वत्र सुख, समृद्धि, शांति हो,
प्रार्थनाएं में यूँ नित उच्चारें,
नूतन ओज-उल्लासों से,
सत् -कामनाओं की भर गठरी,
लो पुलकित ह्रदयों पर छा चली,
नूतन बारह माहों की गिनती,
शुभ हो यह ,असीम मंगलमय,
शत्-शत् अभिनंदन यह करती…!!
- अर्पणा शर्मा
पिता - (स्व.) श्री रघुवीर प्रसाद जी शर्मा,
माता- श्रीमती ऊषा शर्मा
जन्मदिनाँक – 10 जून, जन्म स्थान – भोपाल (मध्य प्रदेश) भारत.
शिक्षा - एम.सी.ए., कंप्यूटर डिप्लोमा तथा कंप्यूटर तकनीकी संबंधी अन्य सर्टिफिकेट कोर्स.
अध्यावसाय - मार्च सन् 2007 से देना बैंक में अधिकारी सूचना प्रौद्योगिकी के पद पर भोपाल में कार्यरत. इसके पूर्व दो वर्षों तक भारतीय न्यायायिक अकादमी , भोपाल तथा करीब डेढ़ वर्षों तक लक्ष्मी नारायण तकनीकी कॉलेज , भोपाल में कार्यरत रहीं.
रूचि – अध्ययन/पाठन, लेखन, पेंटिंग, कढाई, सिलाई, पाककला, विभिन्न हस्तशिल्प, ड्राइविंग,पर्यटन, तकनीकी के नए आयामों का अध्ययन, ध्यान-योग के माध्यम से व्यक्तित्व विकास, स्वैच्छिक समाज सेवा, बागवानी।
लेखन की विधा - कविता, कहानी, लघुकथा, छंद, हाइकू आदि विधाओं में प्रयासरत. उपन्यास लेखन में भी प्रयास।
सदस्यता – म.प्र.हिंदी लेखिका संघ , विश्व मैत्री मंच , ओपन बुक्स ऑनलाइन तथा भोपाल की आजीवन सदस्य, म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति से संबद्ध ।
सम्मान- म.प्र.हिंदी लेखिका संघ , भोपाल द्वारा “भाव्या” के लिए “नवोदित लेखिका सम्मान”, राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा “शब्द शक्ति सम्मान”, जे.एम.डी. प्रकाशन दिल्ली द्वारा “अमृत सम्मान”, ओपन बुक्स ऑनलाइन द्वारा “साहित्य रत्न सम्मान ” तथा ” साहित्यश्री” सम्मान , विश्व मैत्री मंच के माॅस्को (रूस) में आयोजित “अंतर्राष्ट्रीय रचनाकार सम्मेलन में सहभागिता हेतु प्रशस्ति पत्र, नियोक्ता बैंक द्वारा महिला दिवस पर लेखन और सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित. विभिन्न अंत:बैंक प्रतियोगिताओ में विजेता एवं पुरुस्कृत.
प्रकाशन – एकल कविता संग्रह “भाव्या” एवं “भाविनी”। सम्मिलित पुस्तकें – “क्षितिज” (लघुकथा संग्रह), ” सहोदरी” (लघुकथा संग्रह), “व्यंग्य के विविध रंग” (व्यंग्य रचना संग्रह) “भारत के प्रतिभाशाली हिंदी रचनाकार”, “सृजन –शब्द से शक्ति का”, “अमृत काव्य” (कविता संग्रह), विभिन्न ई-पत्रिकाओं, समाचार पत्रों – पत्रिकाओं में रचनाओं का समय-समय पर प्रकाशन.
“ओपन बुक्स ऑनलाइन”, “स्टोरी मिरर डॉट कॉम” तथा “प्रतिलिपि डॉट कॉम” वेब पोर्टल पर स्वयं के पृष्ठ पर नियमित रचना (ब्लाग) लेखन.
बैंक की पत्रिका तथा बैंक नगर भाषा पत्रिका में बैंकिंग, सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी लेखों तथा कविताओं का प्रकाशन.
विभिन्न काव्य गोष्ठियों, साहित्य सम्मेलनों में नियमित सहभागिता एवं काव्य-पाठन.
अन्य उपलब्धियाँ - सन् 1994 में “मिस भोपाल ” में प्रतिभागी तथा सन् 1999 में “मिस एमपी” सौंदर्य प्रतियोगिता में रनर अप रहीं ।
सुश्री अर्पणा बचपन से मध्य कर्ण के संक्रमण से ग्रस्त थीं जो कि भोपाल गैस त्रासदी के बाद बहुत विकट होगया और वे किशोरवय में अपनी श्रवण शक्ति पूर्णतः खो बैठीं. स्वाध्याय और कठोर परिश्रम से ही उच्च शिक्षा पूर्ण की और बैंक सेवा में चयनित हुईं. कंम्प्यूटर ड़िप्लोमा और संभागीय माध्यमिक परीक्षा में मेरिट में चयनित हुईं ।
पूर्णतः बधिर होते हुए भी सदैव स्वावलंबी होने को प्राथमिकता देती हैं ।