यह जीवन बहुरूपिया
रात-दिवस, पूनम-अमा, सुख-दुःख, छाया-धूप।
यह जीवन बहुरूपिया, बदले कितने रूप॥
समय बदलता देख कर, कोयल है चुपचाप।
पतझड़ में बेकार है, कुहू- कुहू का जाप॥
हंसों को कहने लगे, आँख दिखाकर काग।
अब बहुमत का दौर है, छोड़ो सच के राग॥
अपमानित है आदमी, गोदी में है स्वान।
मानवता को दे रहे, हम कैसी पहचान॥
मोती कितना कीमती, दो कौड़ी की सीप।
पथ की माटी ने दिये, जगमग करते दीप॥
लेने देने का रहा, इस जग में व्यवहार।
जो देगा सो पायेगा, इतना ही है सार॥
इस दुनिया में हर तरफ, बरस रहा आनन्द ।
वह कैसे भीगे, सखे! जो ताले में बन्द॥
जीवन कागज की तरह, स्याही जैसे काम।
जो चाहो लिखते रहो, हर दिन सुबहो-शाम॥
नयी पीढ़ियों के लिए, जो बन जाते खाद।
युगों युगों तक सभ्यता, रखती उनको याद॥
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
जन्म-स्थान —– नगला मिश्रिया ( हाथरस )
प्रकाशित कृतियाँ — 1. नया सवेरा ( बाल साहित्य )
2. काव्यगंधा ( कुण्डलिया संग्रह )
सम्पादन — 1. आधुनिक हिंदी लघुकथाएँ
2. कुण्डलिया छंद के सात हस्ताक्षर
3. कुण्डलिया कानन
सम्मान / पुरस्कार — 1. राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा ‘शम्भूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार ‘
2. पंजाब कला , साहित्य अकादमी ,जालंधर ( पंजाब ) द्वारा ‘ विशेष अकादमी सम्मान ‘
3. विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ , गांधीनगर ( बिहार ) द्वारा ‘विद्या- वाचस्पति’
4. हिंदी साहित्य सम्मलेन प्रयाग द्वारा ‘वाग्विदाम्वर सम्मान ‘
5. राष्ट्रभाषा स्वाभिमान ट्रस्ट ( भारत ) गाज़ियाबाद द्वारा ‘ बाल साहित्य भूषण ‘
6. निराला साहित्य एवं संस्कृति संस्थान , बस्ती ( उ. प्र. ) द्वारा ‘राष्ट्रीय साहित्य गौरव सम्मान’
7. हिंदी साहित्य परिषद , खगड़िया ( बिहार ) द्वारा स्वर्ण सम्मान ‘
विशिष्टता — कुण्डलिया छंद के उन्नयन , विकास और पुनर्स्थापना हेतु कृतसंकल्प एवं समर्पित
सम्प्रति — उत्तर पश्चिम रेलवे में इंजीनियर
संपर्क —- आबू रोड -307027 ( राजस्थान )