यह भारतवासियों के लिए बेहद ख़ुशी के क्षण थे जब अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत की ओर से नामित दलवीर भंडारी निर्वाचित घोषित किये गये।
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय सयुंक्त राष्ट्र की प्रमुख कानूनी संस्था है जिसका काम दुनिया के तमाम देशों के बीच जारी कानूनी विवाद की सुनवाई करना है। इस अदालत का काम इतना तकनीकी होता है कि इसे अक्सर अख़बारों के पहले पन्नों पर जगह नहीं मिल पाती है। ऐसे में ये कोई ताज्ज़ुब की बात नहीं है कि लोगों को ये ना पता हो कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अब तक एक ब्रिटेन का एक जज हमेशा इस कोर्ट के १५ जजों में शामिल रहा है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अंतरराष्ट्रीय अदालत में जज के चुनाव के दौरान भारत ने ये बाजी ब्रिटेन से जीत ली है।
उल्लेखनीय है कि न्यूयॉर्क स्थित संगठन के मुख्यालय हेग में पृथक से मतदान करवाया गया था। जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासभा में भंडारी को १९३ में से १८३ वोट मिले जबकि सुरक्षा परिषद् में सभी १५ मत भारत के पक्ष में गये। आईसीजे में अपने पुन:निर्वाचन के लिए भंडारी और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के बीच जबरदस्त टक्कर थी। इस चुनाव की सबसे हैरान करने वाली बात ब्रिटेन द्वारा अपने प्रत्याशी का नाम वापस लिये जाने को हुई। १२वें चरण के मतदान से पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद् दोनों सदनों के अध्यक्षों को संबोधित पत्र में ब्रिटेन के स्थाई प्रतिनिधि मैथ्यूरिक्रोफ्ट ने उनके प्रत्याशी जज क्रिस्टोफर ग्रीनवुड ने १५ सदस्यीय आईसीजे से अपना नाम वापस लेने की जानकारी दी। हालाँकि मतदान के पहले ११ दौर में भंडारी को महासभा में करीब दो तिहाई मत मिले थे, जबकि ग्रीनवुड को सुरक्षा परिषद् में नौ वोट मिल रहे थे। जज दलवीर भंडारी की जीत पर ब्रिटेन ने बधाई देते हुए संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक मंचों पर भारत को अपना करीबी सहयोग जारी रखने की बात कही।
कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में लंबी रस्साकशी के बाद भारतीय जज दलवीर सिंह भंडारी को मिली जीत न केवल भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि है बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनय के लिहाज से भी यह मील का पत्थर है। ७१ वर्षों के इतिहास में पहली बार यह अलिखित कानून टूटा है कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांचों स्थायी सदस्यों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। दलवीर सिंह भंडारी के दूसरे कार्यकाल के लिए चले चुनाव प्रचार के उतार-चढ़ाव भरे दौर पर एक नजर डालने से भी यह स्पष्ट हो जाता है कि विश्व राजनीति के इस अहम मंच पर शक्ति संतुलन किस कदर बदला है।
दलवीर भंडारी अक्टूबर २००५ में मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने. दलवीर भंडारी ने जून २०१२ को पहली बार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सदस्य की शपथ ली थी। आईसीजे से पहले भंडारी कई कोर्ट में उच्च पद पर काम कर चुके हैं। भंडारी को पद्मभूषण से सम्मानित भी किया जा चुका है और कई सालों तक भारतीय न्याय प्रणाली का हिस्सा रहे हैं। भारत में पढ़ाई करने के बाद जस्टिस दलवीर भंडारी ने अमरीका के शिकागो स्थित नार्थ वेस्टर्न विश्वविद्यालय से कानून में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की थी। जस्टिस दलवीर भंडारी ने एक पुस्तक भी लिखी है, जिसका नाम ‘ज्यूडीशियल रिफॉर्म्स: रीसेंट ग्लोबल ट्रेंड्स’ है।
– अम्स्टेल गंगा समाचार ब्यूरो