ब्रिटेन के हाउस ऑफ लोर्डस में, २१ नवंबर २०१३ के दिन, वातायन पोएट्री ऑफ साउथ बैंक फिर लेकर आया वातायन कविता का अंतर्राष्ट्रीय काव्य पुरस्कार
बाएं से दाएं – दिव्या माथुर, काउंसलर सुनील चोपड़ा , डॉ. वी के मेहता ,वैरोनैस फ्लैदर , प्रो पुष्पिता अवस्थी, सुश्री पिंकी लीलानी और डॉ. पद्मेश गुप्ता
ऐसे समय में जब सभी भारतीय भाषाएँ अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं, वातायन, हिंदी और भारत की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में लिखने वाले कवियों और भारतीय कविता के समृद्ध खजाने पर रौशनी डालने का कार्य करने में सफल रहा है.
इस वर्ष, कविता में उनके असाधारण योगदान के लिए डॉ. पुष्पिता अवस्थी और डॉ. विजय कुमार मेहता को सम्मानित किया गया.
यूके हिंदी समिति के अध्यक्ष और पुरवाई के संपादक डॉ. पद्मेश गुप्ता ने अपनी अनोखी जोशपूर्ण शैली के साथ शाम का आगाज़ किया. कार्यक्रम में, वैरोनैस श्रीला फ्लैदर, पिंकी लिलानी OBE एवं कौंसलर सुनील चोपड़ा, सदक के डेपुटी मेयर, की उपस्थिति में, बैरोनेस फ्लैदर ने शॉल के साथ विजेताओं का स्वागत किया. बैरोनेस श्रीला फ्लैदर ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और और वातायन टीम का प्रतिवर्ष इस पुरस्कार के आयोजन करने के लिए आभार प्रकट किया.
पुरस्कार सुश्री लिलानी द्वारा प्रस्तुत किए गए. धन्यवाद प्रस्ताव अकैडमी की निदेशक एवं वातायन की अध्यक्षा सुश्री मीरा कौशिक, ओबीई, द्वारा प्रस्तुत किया गया.
भारतीय शास्त्रीय गायिकाओं, श्रुति सतीश और उत्तरा सुकन्या जोशी के सुरीले स्वरों के पश्चात, विशिष्ट पत्रकार, शोधकर्ता और साहित्यकार जैसी विविध पृष्ठभूमि से वक्ताओं ने अपनी बात रखी.
डॉ. पद्मेश गुप्ता द्वारा वातायन की गतिविधियों पर एक दृश्य – श्रव्य प्रस्तुत किया गया. उनका कहना था कि “सत्ता भ्रष्ट करती है, लेकिन कविता शुद्ध”. स्काईलार्क पत्रिका के संपादक, डॉ. योगेश पटेल और प्रसारक लेखक डॉ. अचला शर्मा ने डॉ. अवस्थी की कविताओं के कुछ अंश पढ़े. डॉ. शर्मा ने कहा, “पुष्पिता की कविताओं में अचेत और सचेत दोनों विद्यमान हैं; इस मायने में वह अनूठी हैं”. दूसरी ओर, डॉ. पटेल ने प्रेम और प्रकृति को डॉ. अवस्थी की कविताओं में विशेष माना.
इसके बाद डा. अवस्थी ने मंच सम्भाला और अपनी रचनाओं का पाठ किया. उन्होंने इस सम्मान के लिए वातायन का आभार प्रकट किया. लघु कथा पर भी अपनी पैठ रखने वाली डॉ अवस्थी सूरीनाम में भारतीय दूतावास नै प्रथम सचिव (2001-2005) के रूप में कार्य कर चुकी हैं. वर्तमान में वह नीदरलैंड में रहती हैं जहाँ उन्होंने हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन की स्थापना की है,
अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम चुनने वाले अनुभवी कवि, डॉ विजय कुमार मेहता, न्यूयॉर्क के एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्हें समारोह में वातायन शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया. इससे पहले श्री मनोज पांडे ने डॉ. विजय कुमार मेहता के महाकाव्य के कुछ अंश पढ़े. डॉ मेहता ने भी अमेरिका के सबसे अधिक आबादी वाले शहर की भाग-दौड़ वाली जीवन शैली का चिंतन करती हुई अपनी प्रसिद्द रचना “न्यूयार्क” सुनाई जिसने सभी श्रोताओं का मन मोह लिया.
28 नवंबर 2003 को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पूर्व रीडर डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने, ब्रिटेन और विदेशों में बसे कवियों के बीच इस मंच का उद्घाटन किया था, तत्पश्चात 2010 तक भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा प्रायोजित, वातायन सम्मान से प्रत्येक वर्ष, भारतीय कविता के क्षेत्र में सक्रिय योगदान के लिए अनेकों प्रतिष्ठित भारतीय कवियों को सम्मानित किया जाता रहा.
अब तक इस पुरस्कार से सम्मानित, जावेद, अख्तर, निदा फाज़ली, प्रसून जोशी, राजेश रेड्डी, वंशी माहेश्वरी, शोभित देसाई जैसे प्रतिष्ठित कवियों सहित सम्मानित कवियों की एक लंबी सूची है. इसके अतितिक्त वातायन ने गुलजार, नीरज, अशोक चक्रधर, जैसे विशिष्ट कवियों को प्रस्तुत किया है.
ब्रिटेन हिन्दी समिति के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय विद्वानों, लेखकों, कवियों और मीडिया से जुड़े लोगों ने भाग लिया.
- यू.के. हिंदी समिति
दिव्या माथुर