बरसात में मेडको को टर्राने की कहावत अब बदल गयी हे पुरे साल जो मेडक जमीन के अंदर रहते हे वे बरसात में बाहर निकलते हे पर ये बात ऊँतनी सही नहीं हे मेडको का जन्म ही बरसात में होता हे और बरसात खत्म होने के साथ ही उनका भी अंत हो जाता हे पर राजनीती के मेडक तो जिन्दा रहते हे और कभी भी मरते नहीं हे क्योकि इनसे यमराज भी डरते हे की कही इनको उपर ले गए तो ये उपर भी यमराज की कुर्सी पे हक ज़माने लग जायेंगे |यमलोक में नरक में जो दंगे हुवे थे उनके लिए माफ़ी मांगो और तो और कही यमराज का विवाह बचपन में हो गया होगा और उनके पत्नी से संबंद भी नहीं होंगे फिर भी कहंगे की आप तो नारी विरोधी हे अपनी पत्नी को छोड़ रखा हे और जो पत्नी को नहीं संभाल सकते तो यमलोक को क्या संभालोगे |खुदा णा खास्ता यदि यमराज कुवारे हे तो फिर तो बिचारे की हालत ही खराब कहंगे आपके फला फला से क्या संबंध हे स्पस्ट करो और भी णा जाने क्या क्या |और यमराज की कोई अम्मा तो हे नहीं जो उनको पुरे पाच साल तक का पट्टा दे सके के बेटा तु अपना मुह बंद रखेगा तो तेरा पाच का पट्टा पक्का हे |राजनीति के मेडक पुरे पाच साल तक तो अपनी अपनी जुगाड (घोटलो) में लगे रहते हे और पुरे पाच साल के बाद चुनावी बरसात में बाहर निकलते हे अपने अपने खादी के कुर्ते धुलवाते हे और जहा मोका मिलता हे टर्राने लगते हे |जितने भी टटपूंजिए मेंडक हे बड़े मेंडको के पीछे पीछे टर्राने लगते हे बड़ा मेडक जहा तर्रने वाले होते हे वहा पहले से छोटे मेंडक पहुच जाते हे और फिर सामूहिक रूप से टर्राते हे | इनमे कुछ कुछ मेंडकीया भी होती हे जिनको जुकाम होता रहता हे जहा किसी विरोधी मेंडक ने कोई मिर्ची लगने वाला बयान तर्राया की इन मेंडकीयो को इतना जुकाम होता हे के पूरी नाक बहने लगती हे और इतनी गन्दी गन्दी टर्राने की आवाजे आने लगती हे |कुछ मेंडक टी वी फेम भी होते हे जिनकी पार्षद लड़ने की औकात नहीं होती वे टी वी पे टर्राते हे और तो और ये कई कई चेनल पे एक साथ टर्राते हे इसमें टी वी रिपोर्टर जादा नहीं टर्राते और इन बरसाती मेंडको को टर्राने के लिए खुला छोड़ देते हे और ये कभी एक करके और कभी सामूहित रूप से टर्राते हे क्या टर्राटे बस एक दूसरे की वाट लगाते हे |सभी का मकसद एक ही होता हे लेकिन ये जनता को ऐसा बताते हे की वे एक दूसरे के खिलाफ हे और जनता इन बरसाती मेंडको के चक्कर में आ जाती हे |इनकी बरसात पाच साल में एक बार आती हे कई बार तो विधान सभा का मावठा भी आ जाता हे कभी मुन्सिपाल्टी,सोसायटी,मंडी समिति ,पंचयत आदि के मावठे और बूंदा बांदी भी होती रहती हे इनमे भी ये लोग टर्राते हे क्युकी टर्राने का कोई भी मोका ये छोडना नहीं चाहते| जब भी राजनितिक बादल दीखते हे इनका गला खुलने लगता हे कही ठंडी हवा भी चलती हे तो ये छीकने लग जाते हे | ये तो ऐसे भी हे की जब बारामासी मेंडक दीखते हे तो ये जादा टर्राते हे क्योकि इनको बारामासी मेंडक दुश्मन की तरह दीखते हे |कुछ खानदानी मेंडक भी होते हे जिनके बाप दादा ये पट्टा लिख गए हे की बेटा तुम्हे टर्राना नहीं भी आये तो मम्मी पापा दादी का नाम ले लेना जनता का क्या हे तुमको भी झेल ही लेगी | कुछ मेंडक धर्म गुरु के भेस में भी रहते हे उनको भी चुनावी बरसात का इंतजार रहता हे मोका मिलते ही वो भी टर्राने लगते हे उनको मालूम हे की सारे साप ,नेवले ,बिच्छू सब सही रहेंगे अगर टर्राते रहे तो नहीं तो ये मोका मिलते ही खा जायंगे |
- राजेश भंडारी “बाबु”
जन्म स्थान : गाव ;हाजी खेडी ,तराना जिला उज्जैन (म.प्र.)
पैत्रक निवास : गाव ; झलारिया जिला ;इंदौर (म.प्र.)
वर्तमान निवास : महावीर नगर ,इंदौर (म.प्र.)
शिक्षा: एम.काम., एल.एल.बी. ,एम.बी ए.(फाइनेंस)
प्रकाशन :
स्कुल/कालेज के समय से ही लेखन कार्य में रूचि रही| नई दुनिया, देनिक पत्रिका , देनिक भास्कर ,औधिच्च बंधू ,औधिच्य समाज ,अग्निपथ ,देनिक दबंग, प्रिय पाठक,अक्छर वार्ता ,मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति की पत्रिका वीणा ,शब्द प्रवाह वा अन्य पत्र परिकाओ में समय समय पर लेख ,कविता ,व्यंग प्रकाशित | मालवी के प्रचार प्रसार हेतु समय समय पर लेख वा कविताओ का प्रकाशन | इन्टरनेट के वा अन्य इलेक्ट्रानिक माध्यमों से मालवी के प्रचार प्रसार निरंतर प्रयास रत हे | यू ट्यूब पर करीब ५० वीडियो उपलोड हे |फेसबुक के माध्यम से देश विदेश के मालवी भाषी हजारों लोगो से निरंतर जुड़े हुवे हे और मालवी सस्कृति की विलुप्त होती चीजों को जन जन तक पहुचाने के लिए प्रयासरत हे |नेट ब्लॉग के माध्यम से भी मालवी को देश विदेश के लोगो तक पहुचाने में प्रयास रत हे | आज कही भी कवि गोष्ठी होती हे तो मालवी की हाजरी जरुर लगती हे अखंड संडे ,मालवी जाजम और भी कई संथाओ में नियमित मालवी कविता पाठ करने जरुर जाते हे |