अपना तो बना ना सके , पर पराया कैसे करोगे |
तुम लाख होगे खुश , पर आंशु जाया कैसे करोगे |
साथ चल तो ना सके, पर जुदा कैसे करोगे |
होश में तो बुलाओगे नहीं , पर सपनों में मना कैसे करोगे |
तुम लाख चाहो उसे , पर नज़रों से बंया कैसे करोगे |
चलो माना की ….
चाहत भी कर लोगे , पर ऐसी हसरत पैदा कैसे करोगे |
- अमित कुमार
मैं झारखण्ड के लातेहार जिले से हूँ , मैंने बिरसा प्रोद्योगिकी संस्थान सिंदरी झारखण्ड से स्नातक और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर उपाधि ली है, और अभी मै भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से रासायनिक अभियांत्रिकी में शोध कर रहा हूँ |