छुपन छुपाई

 

डबलू आया लविका आई
खेलेंगे हम छुपन छुपाई
डबलू छुपा तखत के नीचे
मैं लम्बे खम्बे के पीछे

डबलू को लविका ने ढूंढा
आइस पाइस उसे बतायी
जैसे ही वो पीछे आई
मैंने झट से टीप लगाई

फिर दौड़ी वो गिनती गिनने
और लगे हम फिर से छुपने

 

 

- नीरज त्रिपाठी

 

शिक्षा- एम. सी. ए.

कार्यक्षेत्र – हिंदी और अंग्रेजी में स्कूली दिनों से लिखते रहे हैं | साथ ही परिवार और दोस्तों के जमघट में   कवितायेँ पढ़ते रहे हैं |

खाली समय में कवितायेँ लिखना व अध्यात्मिक पुस्तके पढ़ना प्रिय है |

प्रतिदिन प्राणायाम का अभ्यास करते हैं और जीवन का एकमात्र लक्ष्य खुश रहना और लोगों में खुशियाँ फैलाना है |

कार्यस्थल – माइक्रोसॉफ्ट, हैदराबाद

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