जीवन के हर पृष्ठ पर
रोज छपता है यह विज्ञापन
‘गुमशुदा की तलाश’
सब पढ़ते हैं लेकिन
आता नहीं उत्तर कोई
बहुत खोजा लेकिन
पता नहीं चला
कहाँ गया वो बाल सुलभ मन
वो सरलता
सहज भाव से
विश्वास करने की वो आतुरता
अब तो है केवल
एक शंकाग्रस्त मन
जैसे कर्ण के मन में उत्पन्न
कर दिया था
एक काँटा शल्य ने
अपनी बातों से
समय के लंबे अन्तराल ने
जैसे सब बदल दिया
पहचानना मुश्किल है
विज्ञापन में छुपी तस्वीर
धुँधली हो चुकी है
आशा क्षीण है लेकिन
तलाश आज भी जारी है।
- आनन्द बाला शर्मा
शिक्षा - बी.एस.सी,एम.ए, बी.एड
विधाएं - कहानी, कविता, लेख,संस्मरण आदि
प्रकाशन - नारी चेतना के स्वर,एकता की मिसाल, राष्ट्रीय संकलन व देश विदेश की पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन
संप्रति - साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ाव,शिक्षण क्षेत्र में सेवानिवृत्ति के पश्चात अध्ययन एवं साहित्य साधना में संलग्न
संपर्क सूत्र – ’जमशेदपुर, झारखण्ड