चिडियां
सुबह सुबह मेरे कमरे की
खिडकी पर आ जाती चिडिया ।
चहक चहक कर लहकलहक कर
मुझको रोज जगाती चिडिया ।
क्या कहती कुछ समझ ना आता
किन्तु चहकना मन को भाता ।
भोर हुइ अब छोडु बिस्तर
शायद यही बताती चिडिया ।
जागा हुं मैं देर रात तक
कोइ ना समझा मेरी बात तक ।
नींद बडी मुश्किल से आइ
फिर क्यों मुझे सताती चिडिया ।
तिनका तिनका बिन बिन कर
एक दुजे से छिन छिन कर ।
अपने साथी के संग मिल कर
घर छोटा सा बनाती चिडिया ।
अपने प्रियतम के संग रहती
आंधीं वर्षा सुख दुख सहती ।
कभी ना देखा रोते इसको
हरदम हंसती गाती चिडिया ।
कहती है शायद यह मुझसे
घबराना तु जरा ना दुख से ।
रात अंधेरी छट जायेगी
सुबह की आस बंधाती चिडिया ।
- महेश शर्मा
निवास – जिला धार मध्य प्रदेश पिन -
शिक्षा –विज्ञानं स्नातक
रूचि – लेखन पठन पाठन गायन पर्यटन
लेखन विधा – कहानी , कविता , गीत , ग़ज़ल
प्रकाशन – साहित्य अमृत , संबोधन , साहित्य गुंजन . ककसाड . परिंदे ,वीणा , शब्द प्रवाह , कथाबिम्ब , अभिनव प्रयास ,मधुमती , साक्षात्कार ,अनंतिम राजस्थान पत्रिका , एवं एनी पात्र पत्रिकओं में कई रचनाऐ प्रकाशीत एक गीत संग्रह ,, में गीत किसी बंजारे का ,, उन्वान प्रकाशन से शीघ्र प्रकाश्य . एक कहानी संग्रह भी प्रकाशन हेतु तैयार
सम्मान - राजस्थान की पत्रिका साहित्य समर्था से श्रेष्ठ कहानी पुरस्कार
मध्य प्रदेश संस्क्रती विभाग से साहित्य पुरस्कार
बनारस से ,, सोच विचार ,, पत्रिका से ग्राम्य कहानी प्रतियोगिता अंतर्गत पुरस्कृत
सम्प्रति - सेवा निवृत बेंक अधिकारी . रोटरी क्लब के अंतर्गत समाज सेवा काव्य गोष्ठियों के अलावा यदाकदा मंचीय काव्यपाठ