बचपन
चलो लौट चलें फिर से उन उजालों की खातिर
उन जवाबों के खातिर- उन सवालों के खातिर,
मेरी गली राह देख रही होगी अभी भी
उस से दूर रह के बीते इतने सालों की खातिर,
किसी की टूटी खिड़की से डरे बैठे होंगे अभी भी
मेरे नादान दोस्तों के उन धमालों की खातिर,
जहाँ ख्वाब छोटे थे उस छोटी सी दुनिया में
कच्ची उम्र के उन मासूम ख्यालों की खातिर,
जहाँ माँ का आँचल थी दावा हर दर्द की “आसिफ”
उसके प्यार में डूबे उन निवालों की खातिर….
चलो लौट चलें फिर से उन उजालों की खातिर…..
- महेश कुमार शर्मा
जन्म: १ जनवरी , कुचामन सिटी (राजस्थान)
विधा : ग़ज़ल
शिक्षा : कंप्यूटर विज्ञान में परास्नातक
सम्प्रति : सॉफ्टवेर इंजिनियर
संपर्क : हूफदोरप , नीदरलैंड्स