दुनिया की सैर का ये चक्कर नया नया है
जिस ओर देखता हूँ मंज़र नया नया है
बिल्कुल अलग जहां से हालत है मेरे दिल की
अन्दर से ये पुराना बाहर नया नया है
बेचैन इसलिए हूँ मखमल की सेज पर मैं
मेरे लिये अभी ये बिस्तर नया नया है
लगने लगी जहां की हर चीज़ रायगां अब
बदलाव सा ये मेरे अन्दर नया नया है
बेहतर बता सकेगा वो घर की अहमियत को
जग में हुआ अभी जो बेघर नया नया है
खुद पर ग़रूर तुमको ,शायद है इसलिए ही
ये हाथ में तुम्हारे ख़ंज़र नया नया है
उम्मीद तुम वफ़ा की उससे करो न हरगिज़
हर रोज साथ जिसके दिलबर नया नया है
तन्क़ीद कर रहा जो हर एक की ग़ज़ल पर
इस बज़्म में अभी वो शायर नया नया है
मेरे जुनून से वो वाक़िफ़ नहीं है शायद
जो मेरे रास्ते का पत्थर नया नया है
धरती के साथ उसने रिश्ते भुला दिये सब
वो शख़्स जिसके सर पर अम्बर नया नया है
भाते नहीं है इसको ये बूढ़ी सोच वाले
जो साथ है “अहद “के लश्कर नया नया है !
- अमित “अहद
गाँव +पोस्ट -मुजफ्फराबाद
जिला -सहारनपुर (उत्तर प्रदेश )