चाहे जैसे भी हो,
ख़ुशी ढूंढ़ लेता है गरीब बच्चा,
हजारों ग़मों में भी,
हंसी ढूंढ़ लेता है गरीब बच्चा,
दौलत की रौशनी से महरूम है
पर उमंगों में है सूरज सा तेज,
वो नहीं डरता अंधेरों से ,
जुगनुओं को सहर बता
लेम्प-पोस्ट को दोपहर बता ,
रात के क़दमों का रुख़ मोड़ देता है ,गरीब बच्चा ,
भूखा है, फटेहाल है,
पर हिम्मत से मालामाल है,
वो नहीं डरता भूख के राक्षसों से,
खाली भगोनी में करछी हिला ,
पानी का तड़का लगा,बड़ी होशियारी से,
भूख को ठन्डे चूल्हे में झोंक देता है गरीब बच्चा ,
वो अशिक्षित है, बेघर है, बिना पहचान है,
पर उसकी कोशिशों से जिंदगी हैरान है,
धूप को ओढना बना,
फुटपाथ को बिछोना बना ,
रेत के घरोंदो से जीवन जोड़ लेता है, गरीब बच्चा,
कहने को नासमझ है, नादान है,
पर उसके खेल में जीवन का उन्वान है ,
वो नहीं डरता गरजती घटाओं से,
हवाओं संग दौड़ लगाता,
बारिशों की गोद में नहाता ,
कागज की नाव में फ़िक्रों को छोड़ देता है गरीब बच्चा ।
- हेमा चन्दानी ‘अंजुलि’
अभिनेत्री व् कवियत्री हूँ, जन्मस्थान जयपुर है, पिछले ८ वर्षों से मुम्बई में अभिनय व् लेखन के क्षेत्र में कार्यरत हूँ , पिछले १८ वर्षों से रंगमंच से भी जुड़ाव रहा है,शास्त्रीय संगीत [गायन] में एम ए किया है, कुछ वर्ष कत्थक नृत्य कि भी शिक्षा ली, २०१४ में अंतर्राष्ट्रीय लघु कथा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया .