क्या आप अपनी माँ या अपने मां-बाप दोनों के पैर छूते हैं ? आपका जवाब होगा- शायद नहीं, आप कहेंगे कि हमें मां या अपने मां-बाप दोनों के पांव छुने में शर्म आती है । भगवान गणेश माता-पिता की परिक्रमा करके ही प्रथम पूज्य हो गये। श्रवण कुमार ने माता-पिता की सेवा में अपने कष्टों की जरा भी परवाह न की और अंत में सेवा करते हुए प्राण त्याग दिये। भारतीय संस्कृति में माता-पिता को देवता कहा गया है: मातृदेवो भव। पितृदेवो भव।
माँ बाप की सेवा के लिए मनु – मनुस्मृति में लिखते हैं कि :-
यं मातापितरौ क्लेशं सहेते संभवे नृणाम् ।
न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैरपि ॥
अर्थात संतान की उत्पत्ति में माता-पिता को जो कष्ट–पीड़ा सहन करना पड़ता है, उस कष्ट–पीड़ा से संतान सौ वर्षों में भी अपने माँ बाप की सेवा करके मुक्ति नही पा सकते।।
माँ बाप भगवान का रूप होते है उनकी सेवा कीजिये सचमुच जब हम माँ या अपने मां-बाप के पैर छूते हैं तो मां-बाप कहते हैँ खुश रहो बेटा तब दिल को बडा सुकून मिलता है। कहते है माँ बाप के क़दमों में जन्नत होती है। आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण में वर्णित है कि “मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं”
आइए, रोज सुबह उठकर अपने माता-पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना प्रारंभ कीजिये । रोज जब भी घर से निकले तो उसके पहले अपने माता-पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लें। जैसे कि पैर छू कर अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेना प्राचीन गौरवशाली भारतीय संस्कार/ परंपरा का अभिन्न अंग है ।
दोस्तों,आप भी अपने माँ बाप की सेवा कीजिये क्योंकि सेवा के महत्त्व के बारे में बताया गया है :-
“सेवा सिद्ध सफलता, सेवा विजय अपार ।
सेवा से मेवा मिले, सेवा से मिले करतार”।
जीते जी माता-पिता की सेवा नहीं करने वाला उसके मरने के बाद उनकी फोटो लगाता है माला पहनाता है, गांव में जीमण करता है साथ ही रोने का ढोंग करता है। लेकिन जीते-जी उन्हें पूछता तक नहीं है।
कहा जाता है कि जिस घर मे मां-बाप हंसते है उसी घर मे भगवान भी बसते है। क्योंकि “माँ-बाप” ही जीते जागते भगवान है। मां-बाप का प्यार इस दुनिया की अनमोल चीज है। अगर आपने मां बाप को दुखी किया तो आप कभी भी सुखी नहीं रह सकते क्योंकि मां बाप की बददुआ से भगवान भी नहीं बच सकते हैं ।
मां बाप ईश्वर स्वरुप होते हैं । किसी ने ठीक कहा है कि :-
किसी ने रोजा रखा तो किसी ने उपवास रखा,
कबूल होगा उसी का, जिसने मां-बाप को अपने पास रखा “।
- युद्धवीर सिंह लांबा “भारतीय”
युद्धवीर सिंह लांबा, प्रशासनिक अधिकारी, हरियाणा इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, दिल्ली- रोहतक रोड, तहसील बहादुरगढ़, जिला झज्जर, हरियाणा
संपर्क: युद्धवीर सिंह लांबा “भारतीय ” S/o श्री सुभाष चंद
वीरों की देवभूमि धारौली, जिला झज्जर , हरियाणा राज्य , भारत-124109
व्यवसाय:-युद्धवीर सिंह लांबा “भारतीय” वर्तमान में हरियाणा इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, दिल्ली रोहतक रोड (एनएच -10) आसोदा, बहादुरगढ़, जिला झज्जर, हरियाणा राज्य, भारत में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में 23 मई 2012 से काम कर रहा हैं। हरियाणा इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से संबद्ध, तकनीकी शिक्षा निदेशालय हरियाणा और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ,नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित हैं।
अन्ना हजारे के लोकपाल विधेयक अनशन में भाग लिया
लेखक ने 27 अगस्त, 2011 को रामलीला मैदान, दिल्ली में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लाए जाने वाले नए लोकपाल विधेयक को पारित कराने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन में भाग लिया था |
शिक्षा:- कला स्नातक(बी.ए.) राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, झज्जर ( हरियाणा )
एम.ए. (राजनीति विज्ञान ) महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (ए-ग्रेड), रोहतक (हरियाणा )
पीजीडीसीए पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, जालंधर ( पंजाब )
जन्म - 11 फरवरी,
शौक: लेखक को फेसबुक में भारतीय संस्कृति और हिन्दी भाषा के लिए लिखना बहुत पसंद है ।
अम्स्टेल गंगा -हॉलैंड से प्रकाशित होने वाली हिंदी की प्रथम पत्रिका के हिंदी साहित्य में लेख
“क्या हमें अँग्रेजी की गुलामी छोडकर हिन्दी को महत्व नहीं देना चाहिए ?”
क्या भारतीय विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोहों में रंगीन चोगे (गाउन) व टोपी (कैप) ब्रिटिश राज की परंपराएँ बंद होनी चाहिए? प्रकाशित हो चुकी हैं।