इतिहास बोध

 

मेरे इतिहास में सभी लोग सम्मलित हो जाते हैं

इस इतिहास में युद्ध, धर्म, नफ़रत, गोली नहीं है

हाँ इसमें मर्सडीज़, तनिष्क़, कैवियारा भी नहीं है

पर यह अकेले राजा का इतिहास भी नहीं है

वह राजा, जिसका इतिहास सब लिख रहे हैं

उसके इतिहास में न मैं हूँ न तुम

बन और बिगड़ हम ही रहें हैं और

नाम बार-बार राजा का आ रहा है

 

इसमें न तो पगडंडी है, न बेर, न जंगल, न पानी, न औरतें

अवधि, वर्ष, काल, तलवार, युद्ध, सत्ता, इमारतें

और न जाने क्या-क्या तो भरा पड़ा है

न संवाद, न खेल, न तान, न मादर, न करमा, न बेटी

 

इतिहास में भी निर्मम अंक ही अंक और आँकड़े ही आँकड़े भरे हैं

साल, हत्या, युद्ध, विजयें गिनी जा रही हैं

कहीं-कहीं तो कब्रे भी

चमड़ी छिले तन और मन के साथ

 

- संजय अलंग

 

जन्म स्थान : भिलाई

प्रकाशित पुस्तकें: क. छत्तीसगढ़ की पूर्व रियासतें और जमीन्दारियाँ

ख. छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ और जातियाँ

पुस्तक संकलन, जिनमें लेखक/रचनाकार के रूप में रचनाएँ सम्म्मलित:-

क. कविता छत्तीसगढ़

ख. हिन्दी सिनेमा बीसवीं से इक्कीसवें सदी तक (प्रगतिशील वसुधा)

कविता प्रकाशन: राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक पत्रिकाओं और पत्रों में

सम्प्रति: भारतीय प्रशासनिक सेवा

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