हम सभी चाहते हैं कि देश विदेश की सैर करें, नयी जगह देखें और नए लोगों से मिलें। हम ये भी चाहते हैं कि पूरे परिवार के साथ रहें और किसी भी ख़ुशी या दुःख के पल में साथ रहें। पर साथ में रहने का सुख विदेशों में नौकरी करने वाले परिवारों को नहीं मिल पाता। देश के बाहर रह कर नौकरी करना दूर से तो बहुत सुन्दर लगता है, पर बहार रहने की अपनी चुनौतियाँ हैं।
मैं अपनी पत्नी और १ महीने के बेटे साथ कुवैत में रहता हूँ। घर रहना कितना संघर्षपूर्ण हो सकता है मैं इस लेख में बताना चाहता हूँ। हमें मार्च २०१४ में ये ज्ञात की हमारे आँगन में जल्द ही नवजात शिशु की किलकारियां सुनाई देंगी। हमने बच्चे को कुवैत में ही जन्म देने का फैसला किया। यहाँ पर प्रसूति सुविधाएँ उच्च स्तर की हैं और हम बच्चे का स्वागत साथ में करना चाहते थे।
बच्चे को कुवैत में जन्म देने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है। जैसे पति और पत्नी के पासपोर्ट में एक दुसरे का नाम होना अनिवार्य है। विवाह प्रमाण पत्र, आपके राज्य, विदेश मंत्रालय और कुवैती दूतावास से सत्यापित होना आवश्यक है। कुवैत में भी प्रमाण पत्र को अरबी भाषा में अनुवाद करना और कुवैती विदेश मंत्रालय से सत्यापित करवाना पड़ता आवश्यक है। हमने ये सारा कार्य सितम्बर मध्य तक पूर्ण कर था। अब हम यह सोच कि जच्चा बच्चा की देखभाल लिए हमारे घर से कौन कौन अ सकता है। होने वाले बच्चे की बुआ, फ़ूफ़ाजी और भाई की पूरी तैयारी हो चुकी थी। पर उसी बीच ४ अक्टूबर को वाराणसी में हमारी दादी जी का निधन हो गया। पुरे परिवार में शोक की लहर दौड़ गयी। हम ३२वे सप्ताह थे और घर पाना असंभव दिख रहा था। हमने पिताजी से अंतिम संस्कार करने का आग्रह किया। हम अपने डॉ से उसी दिन मिले और उनको अपनी परिस्थिति से अवगत किया। डॉ ने गौर से निरिक्षण किया और हमें हवाई की अनुमति दे दी। डॉ ने कहा की हवाई सफर ३४वे सप्ताह तक किया जा सकता है किन्तु अधिकतर विमान चालक कम्पनी ३२वे सप्ताह बाद हवाई सफर करने की अनुमति नहीं देते। २८ से ३२ सप्ताह तक उनको डॉ का हवाई यात्रा करने की अनुमति का पत्र चाहिए होता है। हमारी डॉ ने हमारी मदद करते हुए २९ सप्ताह का पत्र और २ सप्ताह में वापस आने के लिए कहा। हम ६ अक्टूबर को वाराणसी पहुंचे। घर पर दुःख का माहौल था पर सभी ने होने वाली माँ की देखभाल की। हमने अपनी सारी जिम्मेदारियों को पूरा किया। हमारी वापसी १८ अक्टूबर को होनी थी। हमने १७ को वाराणसी में एक और डॉ से हवाई सफर लिए अनुमति पत्र के लिए अनुरोध किया। वहाँ डॉ ने पत्र में सिर्फ यही लिखा कि ये ठीक हैं और स्वास्थ को कर कोई भी परेशानी नहीं हैचिकित्सकीय डॉ ये नहीं लिखा की हवाई यात्रा लिए मैं अनुमति देती हूँ। और फिर जिसका डर था वाही हुआ, हमे बिना सही प्रमाण पत्र के विमान में बैठने की अनुमति नहीं मिली। हम एयरपोर्ट वापस अ गए आ गए। अब हम उनसे अपनी समस्या बताई। उन्होंने मदद की और सही पत्र दिया। फिर हमने नयी टिकट ली और २० अक्टूबर को कुवैत वापस पहुंचे।
कुवैत आने के पश्चात मैंने अपनी सासु माँ और साली वीसा बनवाया और हवाई टिकट निकला। वो दोनों लोग १७ नवंबर कुवैत आई। २२ नवंबर को हमारे घर में छोटे प्यारे लड़के ने जन्म लिया और फिर दो महीनों बाद एक बार फिर से घर में ख़ुशी लहर दौड़ गयी। फिर बच्चे की बुआ, फूफा जी और भाई कुवैत आये। कुवैत में बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, और रेजीडेंसी लगभग एक महीने में बन गई। अब हम अपने बेटे के साथ जनवरी अंत में भारत जायेंगे और घर के बेटे को पुरे परिवार से मिलाएंगे।
इस प्रकार विदेश में रह कर ढेरों मुश्किलों में हमने अपने घरे के सबसे बुजुर्ग, अपनी दादी को विदा किया और नए सदस्य का स्वागत किया। विदेशी भूमि में हमारी डॉ ने बहुत मदद की. हम उनको दिल से धन्यवाद देते हैं।
- अमित सिंह
फ्रांस की कंपनी बे
हिंदी लेखन में रूचि रहने वाले अमित कुवैत में रहते हुए अपनी भाषा से जुड़े रहने और भारत के बाहर उसके प्रसार में तत्पर हैं ।
