आदमी-इस युग का

बड़ा अन्जान है यह आदमी ।

हर बात से नादान है यह आदमी॥

 

यूँ तो हर जज्बात की कदर हैं,

प्रत्येक क्षण भर की खबर हैं।

खुद के दुखों से ज्यादा,

दूसरों के सुखो से परेशान है यह आदमी।

 

हर एक अवसर को पाना हैं,

कुछ भी कर, जीत के आना हैं।

जिंदगी की इस भीड़ में,

बना रहा अपनी पहचान यह आदमी।

 

स्वार्थ का चोला पहना हैं,

अभिमान बन गया गहना हैं।

आज के इस युग में,

समझता है स्वयं को शक्तिमान यह आदमी।

 

रिश्तों में कड़वाहट हैं,

दूर से दिखती मुस्कराहट हैं।

इक दूसरे को झुकाने में,

सोचता हैं अपनी शान यह आदमी।

 

व्यर्थ की बातों को छोड़ो तुम,

सिर्फ आज की चादर ओढ़ो तुम।

भूत-भविष्य में न जी कर,

सुधार सकता हैं अपना वर्तमान यह आदमी।

 

 

 प्रत्येक कण में है उसकी शक्ति,

हर पल कर प्रभु की भक्ति।

उस ईश्वर की कृपा से ही,

बना है विद्वान् यह आदमी।

 

बेशक आगे बढ़ना तुम,

अपने हक़ के लिए भी लड़ना तुम।

ह्रदय से अच्छे काम करो,

और बन जाओगे कीर्तिमान हे आदमी।

और बन जाओगे कीर्तिमान हे आदमी।

 - डॉ. दीप्ती कपूर शर्मा

मैं, डॉ. दीप्ती कपूर शर्मा, भारत गणराज्य की एक मूल निवासी, वर्तमान में नेदरलॅंड्स में रह रही हूँ। शैक्षणिक योग्यता के अनुसार, मैं कंप्यूटर विज्ञान में इंजीनियरिंग में स्नातक, सूचना प्रौद्योगिकी में इंजीनियरिंग में परास्नातक और कंप्यूटर विज्ञान में पीएचडी हूं। मेरा शौक नृत्य करना, कविताएं लिखना और संगीत सुनना हैं, जो मेरे दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाता है, ध्यान केंद्रित करता है, मेरी आंतरिक शक्ति को बढ़ाकर मेरी कार्य कुशलता का पोषण करता है और नई चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है। कई शैक्षणिक पुरस्कारों के साथ, मुझे नृत्य में स्कूल और कॉलेज स्तर पर कई पुरस्कार भी मिले। हाल ही में मेरी पुस्तक “रिश्ते” प्रकाशित हुई है जिसे कई कविता प्रेमियों द्वारा सराहित किया जा रहा है। इसके अलावा, मेरी कुछ कविताएँ प्रख्यात समाचार पत्रों और पत्रिका में प्रकाशित होती हैं। मेरा एक यूट्यूब चैनल भी हैं जिसमे आप व्यावहारिक विषय पर आधारित मेरी कवितायेँ सुन सकते हैं ।

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