एहसास

आदरणीय बलराम जी ,योगराज जी और  दीपक जी,

अम्स्टेल गंगा में प्रकाशित लघुकथा ‘एहसास ‘ के सन्दर्भ में हुयी त्रुटि की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
इस बारे में हम ज्ञान प्रकाश जी से पूछताछ कर रहे हैं।

पत्रिका में प्रकाशन के लिए प्राप्त सभी रचनाओं की मौलिकता की जाँच करना कठिन है , हम अम्स्टेलगंगा से जुड़े रचनाकारों की विश्वसनीयता पर भरोसा करते हैं। आशा है की भविष्य में भी हमें इसी तरह से आपका सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा।

इस गलती के लिए हम रामेश्वर जी से भी क्षमा चाहते हैं।

इस तरह की त्रुटि भविष्य में न हो इसके लिए अम्स्टेल गंगा परिवार अपने नियमों और प्रकाशन प्रक्रिया को और सख्त बनायेगा।
अम्स्टेल गंगा के पाठकों को हुयी असुविधा के लिए हमें खेद है।

अम्स्टेल गंगा हिंदी के प्रचार प्रसार के अपने उद्देश्य के प्रति कटिबध्य है।

अमित कुमार सिंह
अम्स्टेल गंगा परिवार

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