ग़ज़ल-’अनमोल’ की

इसको क़ुदरत का फ़ैसला कह दूँ
या कि अपनी ही इक खता कह दूँ
चोट उसने ही दी जिसे थामा
क्या इसे वक़्त का सिला कह दूँ
जिसकी हर इक अदा को चाहा है
उसको किस तरह बेवफ़ा कह दूँ
इसका होना क़रार देता है
दर्दे-दिल को ही अब दवा कह दूँ
हर तरफ़ नफ़रतें, अदावत है
अब मोहब्बत को रास्ता कह दूँ
दे क़लम हाथ में शरारों की
फिर से अनमोल कुछ नया कह दूँ

- अनमोल

जन्मतिथि: 19 सितंबर

जन्म स्थान: सांचोर (राज.)

शिक्षा: स्नातकोत्तर (हिन्दी)

संप्रति: लोकप्रिय वेब पत्रिका ‘हस्ताक्षर’ में प्रधान संपादक

प्रकाशन: 1. ग़ज़ल संग्रह ‘इक उम्र मुकम्मल’ प्रकाशित (2013)
       2. कुछ साझा संकलन में रचनाएँ प्रकाशित
       3. देश भर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व अंतरजाल पर अनुभूति, साहित्यदर्शन, स्वर्गविभा, अनहदनाद, साहित्य रागिनी, हमरंग आदि पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित

संपादन: 1. साहित्य प्रोत्साहन संस्थान, मनकापुर की पुस्तक शृंखला ‘मीठी-सी तल्खियाँ’ के भाग 2 व 3  का संपादन
       2. पुस्तक ‘ख्वाबों के रंग’ का संपादन
       3. वेब पत्रिका ‘साहित्य रागिनी’ का सितम्बर 2013 से जनवरी 2015 तक संपादन

पता:  अनमोल-प्रतीक्षा, रूड़की (हरिद्वार) उत्तराखंड

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