ये रिश्ते और ये शादी सभी केवल बहाना ….है ,
मुहब्बत वो तराना है जो सबको गुनगुनाना है |
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चला है कौन सा नम्बर तुम्हारी आइडी है क्या ,
मुझे इतना बता देना तुम्हारा क्या ठिकाना ..है |
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रहो तुम दूर ही बेशक मगर तुम नेट पे रहना ,
इसी पर बात करनी है इसी पर रूठ जाना… है |
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चली आना उसी पल नेट पे जब याद आये तो ,
न मम्मी को खबर होगी न डेडी को बताना …है |
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यहीं दिल का मिलन होता यहीं दिल टूट कर बिखरे ,
न कोई जान पाता है समय कितना सयाना.. है |
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हुआ आलोक आशिक ये सभी से इश्क फरमाए ,
यही दौलत कमाई है गले सब को लगाना ….है |
- अनन्त आलोक
शिक्षा - वाणिज्य स्नातक, शिक्षा स्नातक, पी०जी०डी०आए०डी०
संप्रति - हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में अध्यापन।
विधाएं - कविता, गीत, गज़ल, बाल कविता,लेख,कहानी,निबन्ध,संस्मरण,लघु कथा, लोक -कथा,मुक्तक।
लेखन माध्यम – हिन्दी, हिमाचली एंव अंग्रेजी।
कृति - तलाश , काव्य संग्रह
मुख्य प्रकाशन - कई पुस्तकों एवं काव्य सग्रहों में रचनाएं प्रकाशित, असंख्य बाल कविताएं, कहानियां विभिन्न बाल पत्रिकाओं में प्रकाशित
देश और नेट की शताधिक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित, बच्चों के स्तर पर जाकर बच्चों के लिए बाल कविताएं कहानियां एवं लेख पिछले १० वर्षों से लगातार लेखनरत, जो राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं बाल भारती दिल्ली, चंपक, चकमक राजस्थान और इन्द्र धधनुष तथा अक्कड़ बक्कड़ “शिमला में लगातार प्रकाशित होती रही हैं।
पुरस्कार - हि०प्र० सिरमौर कला संगम द्वारा सम्मानित पर्वतालोक की उपाधि। २०११ में सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश में साहित्य गौरव पुरस्कार ।
विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, गान्धीनगर द्वारा कवि शिरोमणि, नीला आसमान साहित्य सम्मान
विभिन्न शैक्षिक तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा अनेकों प्रशस्ति पत्र
नौणी विश्वविध्यालय द्वारा सम्मान व प्रशस्ति पत्र, उत्कृष्ट साहित्य सेवा सम्मान,
हिमौत्कर्ष द्वारा विद्या विशारद की उपाधि
प्रकाशनाधीन - किये खे ओटा( हिमाचली काव्य संग्रह)
संपर्क सूत्र – ’साहित्यालोक’, आलोक भवन, ददाहू,त० नाहन, जि० सिरमौर, हि०प्र०