होली और प्यार

 

होली है त्यौहार,
रंगों की बौछार।

प्यार का मेल मिलाप है,
भेद भाव का त्याग है।

आओ मिल जुल कर खेलें ये खेल,
करतें हैं दिलों से दिल का मेल।

ऊंच नीच के भाव को छोड़ो,
मन से मन के तार को जोड़ो।

इस पावन पर्व पर,
आओ मिल-जुल कर लें ये कसम,
एक दूसरे के लिए इस प्यार को,
ना होने देंगे कम।

 

-स्वाति सिंह देव

वाणिज्य प्रबंधन में स्नातकोतर पूरा करने के बाद वाराणसी में कुछ दिनों बैंक में कार्यरत रहीं।

विवाह के तत्पश्चात कुवैत आयीं। हिंदी लेखन, नृत्य और चित्रकारी में रूचि रखती हैं।

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