वे गोष्ठियों में लगे होते हैं
जैसे कामी कामनियों संग
जितने हादसे और भ्रष्टाचार
उतनी ही गोष्ठियां
उन्हें हादसों का इंतज़ार भी नहीं करना पड़ता,
गोष्ठी-कक्षों से निकलते ही
कोई हादसा उनका स्वागत करता है
–फटी आंखें एवं मुंह बाए हुए–
और वे पुन: गोष्ठी कक्षों में चले जाते हैं
उन्हें ईश्वर को धन्यवाद देने का
मौक़ा भी नहीं मिलता
कि ‘भगवन! हादसों को आबाद रखना
ऐसा हमारी रोजी-रोटी के लिए बहुत ज़रूरी है’
उन्हें क्या पड़ी है कि
वे हादसों के न होने की युक्तियाँ करें समय रहते सरकार को आग़ाह करें
–कि हादसे अंजाम तक न पहुंच पाएं
उन्हें बड़ी महारत हासिल है
हादसों के बाद बहस करने में,
हम सभी क्या सारा आवाम जानता है
कि उनकी नपुंसक बहस
कोई नतीजा प्रसवित नहीं कर पाएगी.
- डॉ मनोज श्रीवास्तव
लिखी गईं पुस्तकें: 1-पगडंडियां (काव्य संग्रह), वर्ष २०००; नेशनल पब्लिशिंग हाउस, न.दि.; हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा चुनी गई श्रेष्ठ पाण्डुलिपि; 2-अक्ल का फलसफा (व्यंग्य संग्रह), वर्ष २००४; साहित्य प्रकाशन, दिल्ली; 3-चाहता हूँ पागल भीड़ (काव्य संग्रह), विद्याश्री पब्लिकेशंस, वाराणसी, वर्ष २००६, न.दि.; हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा चुनी गई श्रेष्ठ पाण्डुलिपि; 4-धर्मचक्र राजचक्र, (कहानी संग्रह), वर्ष २००८, नमन प्रकाशन, न.दि. ; 5-पगली का इन्कलाब (कहानी संग्रह), वर्ष २००९, पाण्डुलिपि प्रकाशन, न.दि.; 6. प्रेमदंश (कहानी संग्रह) नमन प्रकाशन, 2012; 7-परकटी कविताओं की उड़ान (काव्य संग्रह), अप्रकाशित;
–अंग्रेज़ी नाटक The Ripples of Ganga लंदन के एक प्रतिष्ठित प्रकाशन केंद्र द्वारा प्रकाशनाधीन,
–Poetry Along the Footpath (अंग्रेज़ी कविता संग्रह लंदन के एक प्रतिष्ठित प्रकाशन केंद्र द्वाराप्रकाशनाधीन,
–इन्टरनेट पर ‘कविता कोश‘ में कविताओं और ‘गद्य कोश‘ में कहानियों का प्रकाशन
राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं, तथा वेब पत्रिकाओं में प्रकाशित
–सम्मान–भगवतप्रसाद कथा सम्मान–2002 (प्रथम स्थान); रंग-अभियान रजत जयंती सम्मान–2012; ब्लिट्ज़ द्वारा कई बार बेस्ट पोएट आफ़ दि वीक घोषित; राजभाषा संस्थान द्वारा सम्मानित
लोकप्रिय पत्रिका “वी-विटनेस” (वाराणसी) के विशेष परामर्शक और दिग्दर्शक
आवासीय पता: जिला: गाज़ियाबाद, उ०प्र०, भारत. सम्प्रति: भारतीय संसद (राज्य सभा) में सहायक निदेशक (प्रभारी–सारांश अनुभाग) के पद पर कार्यरत.