नूर खुदाई
फूली बांस डरैया
ले अँगड़ाई।
पुष्प आँचल
ख़ुश्बु से रंगा किस
रंगरेज़ ने।
गुनगुनाई
लोभग्रस्त भौरं की
चाटुकारिता।
भोर-उगन
करे अठखेलियाँ
बाल पवन।
हुई बेबात
जल-२ के कोयला
पगली रात।
धरा ना कान
हवा की बातों पर
कष्ट में जान।
तम के गर्भ
पलता सूर्य अंश
रोशनी वंश।
झाँकता चाँद
झील के प्याले में
पढ़े वृतांत।
निकले धुँआ
जादुई चिलम से
पसरे धुँध।
चाँद शैतान
घटे कभी बढ़े औ
लेता ना चैन।
मन की खूँटी
यादों के कैलेंडर
टँगे ज्यों के त्यों।
घूमे बेचैन
सांसों की डाची पर
यादों के बैन।
पोतती रही
शाम की उदासी को
स्मृति रंगों से।
यादें तुम्हारी
महकी मन डाली
सांसें सुरीली।
जीवन हर्ष
सांसों में वासित हैं
यादों के स्पर्श।
मुसका उठी
पलकों की कतार
तुम्हें सोच के।
भीतर भरीं
थाती सी अनबोली
बातें सिसकें।
अहं नादान
उधार धड़कनें
फिर गुमान।
खेल अनेकों
फिर क्यों जज़्बातों से
खेलते लोग।
प्यार के मारे
अपनों से लड़ के
सदा ही हारे।
जीवन तट
खुशियाँ लहरों सी
हों ना अपनी।
चोखा गणित
बाँट दो जो खुशियाँ
हो जाएं दूनी।
बिकता ही है
चाहे किसी कारण
जन १ बार।
रिश्तों को सदा
ग़लतफहमियाँ
करतीं कत्ल।
उधड़ें रिश्ते
टहलें सिसकियाँ
कण्ठ की गली।
अनचीन्हे से
आदमकद दर्द
पलें छाती में।
- कृष्णा वर्मा
शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रकाशन: “अम्बर बाँचे पाती” (मेरा पहला हाइकु संग्रह) प्रकाशित।
यादों के पाखी (हाइकु संग्रह) अलसाई चाँदनी (सेदोका संग्रह) उजास साथ रखना (चोका संग्रह) आधी आबादी का आकाश (हाइकु संग्रह) संकलनओं में अन्य रचनाकारों के साथ मेरी रचनाएं। चेतना, गर्भनाल, सादर इण्डिया, नेवा: हाइकु, शोध दिशा, हिन्दी-टाइम्स पत्र-पत्रिकाओं एवं नेट : हिन्दी हाइकु, त्रिवेणी, साहित्य कुंज नेट (वेब पत्रिका) में हाइकु, ताँका, चोका, सेदोका, माहिया, कविताएँ एवं लघुकथाओं का प्रकाशन।
पुरस्कार: विश्व हिन्दी संस्थान की अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त।
विशेष: हिन्दी राइटर्स गिल्ड (टोरोंटो) की सदस्या एवं परिचालन निदेशिका।
डी.एल.एफ सिटी-गुड़गाँव (भारत) एवं कनाड़ा मे शिक्षण।
सम्प्रति: टोरोंटो (कनाडा) में निवास। आजकल स्वतंत्र लेखन।
सम्पर्क: ओंटेरियो, कनाडा