हस्तांतरण

अच्छी भेंटपूजा के साथ नाचगाने का मजा लेने के लिए रमेश सपरिवार आए हुए थे. सभी लोगों के  बीच बैठे नवनीतलालजी ने प्रसन्नमुद्रा में हाथ जोड़ लिया.

उन का पुत्र अपने ससुराल वालों को नेक के कपड़े दे रहा था.सभी के बीच वे नीचे मुंह कर के बैठे थे. यह बात रमेश को उन के स्वभाव के विपरीत लगी.

उसे याद आया. नवनीतलालजी ने कहा था, ” बेटा ! तेरी मौसी  चाहती है कि समय के साथ सत्ता का हस्तांतरण पुत्रों में हो जाना चाहिए.

लेकिन मौसाजी, अभी तो आप सभी कामधंधा संहाले हुए हैं, ” रमेश ने कहा तो वे बोले थे, ” बेटा ! समय का यही तकाजा है.

तभी विचारमग्न रमेश को उस के पुत्र ने झंझोड़ दिया, ”पापाजी ! हर बार की तरह आप को और हमें भी कपड़े मिलेंगे ? आप सलहज है.उस ने पूछा.

नहींनहीं बेटा !,” रमेश अब तक नवनीतलालजी की स्थिति भांप चुका था. सत्ता के साथ परिस्थिति बदल चुकी थी. वह बोला, ” अब मैं बूढ़ा हो गया हूं. मुझे कुछ नही चाहिए.

मगर, मुझे तो अब बहुत कुछ चाहिए,” रमेश अपने पुत्र की इस सुगबुगाह को अंदर तक महसूस कर रहा था,” तो क्या उसे भी नवनीतलालजी की तरह बनना पड़ेगा,” यह सोच कर वह अपनी पुत्र को खोजी निगाहों से परखने लगा.

 

 

ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

जन्म- २६ जनवरी
योग्यता- बीए ३ -बार , एमए ५ -विषय में
आजीविका- शासकीय शिक्षक
निवास- रतनगढ़ (नीमच)मप्र 
लेखन- बालकहानी, लेख, कविता, लघुकथा आदि
विशेष उपलब्धि- २००८  में २४ , २००९  में २५  व २०१० में १६।   बालकहानियों का ८  भाषा में प्रकाशन  , २०१५ में लघुकथा के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट कार्य के लिए – जयविजय सम्मान २०१५  प्राप्त, बालाशोरी रेडी बालसाहित्य सम्मान २०१७, स्वतंत्रता सेनानी ओंकारलाल शास्त्री सम्मान २०१७ इंद्रदेवसिंह इंद्र बालसाहित्य सम्मान- २०१७ , विकास खंड स्तरीय कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय २०१७
बालकविता संग्रह- १ – उड़ा आसमान में हाथी २ -घमंडी सियार व अन्य कहानियां ३ -चतुराई धरी रह गई

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